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ग्रेट निकोबार परियोजना: जनजातीय आरक्षित भूमि को डीनोटिफाई करने का नक्शा तैयार, कर्मचारियों के लिए ट्रांजिट आवास बना

ग्रेट निकोबार परियोजना के लिए जनजातीय आरक्षित भूमि के डीनोटिफिकेशन का नक्शा तैयार किया गया है। कर्मचारियों के लिए अस्थायी आवास बन चुका है और कल्याण योजना अगले महीने तय होगी।

अंडमान और निकोबार द्वीप प्रशासन ने ग्रेट निकोबार द्वीप मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना के लिए जनजातीय आरक्षित भूमि के डीनोटिफिकेशन और री-नोटिफिकेशन का नक्शा तैयार कर लिया है। अब इन क्षेत्रों में टावर स्थापित करने के स्थलों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया शुरू होगी।

प्रशासन ने बताया कि परियोजना से जुड़े कर्मचारियों के लिए अस्थायी ट्रांजिट आवास (Transit Accommodation) का निर्माण पूरा हो चुका है। इसके साथ ही, “समग्र जनजातीय कल्याण योजना (Comprehensive Tribal Welfare Plan)” अगले महीने तक अंतिम रूप ले लेगी। इस योजना में स्थानीय निकोबारी जनजातियों की उस मांग को भी शामिल किया जाएगा, जिसमें उन्होंने अपने पूर्वजों के गांवों में वापस बसने की इच्छा जताई है।

₹92,000 करोड़ की इस परियोजना में ट्रांसशिपमेंट पोर्ट, एयरपोर्ट, पावर प्लांट और टाउनशिप शामिल हैं। इसे अंडमान और निकोबार द्वीप एकीकृत विकास निगम (ANIIDCO) द्वारा विकसित किया जा रहा है। यह निगम जनजातीय मामलों की निगरानी करने वाली समिति को समय-समय पर परियोजना की प्रगति की जानकारी देता है।

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ANIIDCO की मॉनिटरिंग कमेटी को दी गई प्रस्तुति में बताया गया कि परियोजना से स्थानीय रोजगार और बुनियादी ढांचे में बड़ा सुधार होगा। हालांकि, इस परियोजना के वन एवं पर्यावरण स्वीकृतियां अभी भी अदालतों और ट्रिब्यूनलों में चुनौती के दायरे में हैं।

प्रशासन का कहना है कि परियोजना में जनजातीय समुदायों के अधिकारों और पारंपरिक भूमि उपयोग का पूरा ध्यान रखा जाएगा। सरकार का उद्देश्य है कि विकास और जनजातीय कल्याण दोनों के बीच संतुलन बनाया जा सके।

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