जीएसटी सुधारों से सरकार को होगा 3,700 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा: एसबीआई रिपोर्ट
एसबीआई रिपोर्ट के अनुसार, जीएसटी दरों के तर्कसंगठन से सरकार को 3,700 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होगा, जबकि वार्षिक आधार पर इसका कुल वित्तीय प्रभाव 48,000 करोड़ रुपये आंका गया है।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में किए गए जीएसटी दरों के तर्कसंगठन से सरकार को लगभग 3,700 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होगा। यह आकलन विभिन्न क्षेत्रों में कर संरचना को सरल और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से उठाए गए कदमों पर आधारित है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जीएसटी दरों में किए गए सुधारों का सीधा असर सरकार की आमदनी पर पड़ेगा। हालांकि, सरकार का अनुमान है कि वार्षिक आधार पर इस तर्कसंगठन का कुल वित्तीय प्रभाव लगभग 48,000 करोड़ रुपये होगा। यह प्रभाव व्यापक पैमाने पर राजस्व संग्रहण और करदाताओं पर पड़ने वाले बोझ को ध्यान में रखते हुए निकाला गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी दरों के सरलीकरण से उपभोक्ताओं और उद्योग जगत को दीर्घकालिक लाभ मिलेंगे। एक ओर जहां कर संरचना को सरल बनाने से अनुपालन की प्रक्रिया आसान होगी, वहीं दूसरी ओर इसका तात्कालिक असर राजस्व पर नकारात्मक रूप से दिखाई देगा।
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एसबीआई की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि अल्पकालिक राजस्व घाटे के बावजूद, यह सुधार आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने, उपभोग को प्रोत्साहित करने और कर आधार को विस्तृत करने में सहायक हो सकता है।
सरकार का मानना है कि इस कदम से कर व्यवस्था और अधिक पारदर्शी और न्यायसंगत बनेगी। इसके साथ ही, उपभोक्ताओं और व्यापारियों के लिए प्रक्रियाएं सरल होंगी और अंततः इसका लाभ अर्थव्यवस्था को मिलेगा।
आर्थिक विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि यदि सही ढंग से लागू किया गया, तो जीएसटी सुधार भारत की कर प्रणाली को और अधिक मजबूत तथा वैश्विक मानकों के अनुरूप बना सकते हैं।
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