H-1B वीज़ा शुल्क वृद्धि से भारतीय आईटी कंपनियों पर पड़ेगा असर, नैसकॉम ने जताई चिंता
H-1B वीज़ा शुल्क वृद्धि पर नैसकॉम ने चिंता जताई। कहा, 21 सितंबर की एक दिन की डेडलाइन से कंपनियों, पेशेवरों और छात्रों में अनिश्चितता बढ़ेगी और भारतीय आईटी उद्योग प्रभावित होगा।
अमेरिका द्वारा H-1B वीज़ा शुल्क में भारी वृद्धि किए जाने के फैसले को लेकर भारतीय आईटी उद्योग में चिंता बढ़ गई है। उद्योग निकाय नैसकॉम (Nasscom) ने कहा है कि इस फैसले से भारतीय टेक कंपनियों पर सीधा असर पड़ेगा और उनके संचालन खर्च में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
नैसकॉम ने विशेष रूप से 21 सितंबर की समय-सीमा को लेकर आपत्ति जताई है। उसके अनुसार, एक दिन की डेडलाइन बेहद अनुचित है और इससे न केवल कंपनियों, बल्कि दुनिया भर के पेशेवरों और छात्रों में भी भारी अनिश्चितता पैदा होगी। संगठन ने कहा कि इतनी कम अवधि में उद्योग और कर्मचारी आवश्यक समायोजन नहीं कर पाएंगे।
विश्लेषकों का मानना है कि शुल्क वृद्धि का असर केवल भारत ही नहीं बल्कि अमेरिका की कंपनियों पर भी पड़ेगा, क्योंकि उन्हें भी भारतीय पेशेवरों पर निर्भर रहना पड़ता है। इससे इनोवेशन, अनुसंधान और वैश्विक तकनीकी सहयोग पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
कई टेक दिग्गज कंपनियां, जिनमें माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, अमेज़न और मेटा शामिल हैं, पहले ही अपने H-1B कर्मचारियों को सलाह दे चुकी हैं कि वे यात्रा से बचें और अमेरिका में ही रहें। उद्योग जगत को आशंका है कि शुल्क वृद्धि और कड़े नियमों से टैलेंट मोबिलिटी प्रभावित होगी और प्रोजेक्ट्स में देरी हो सकती है।
नैसकॉम ने उम्मीद जताई है कि इस फैसले पर पुनर्विचार किया जाएगा और भारत-अमेरिका टेक साझेदारी की भावना को ध्यान में रखते हुए अधिक व्यावहारिक नीति अपनाई जाएगी।
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