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मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम: मसौदा नियमों की मंजूरी में देरी पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने केंद्र से पूछा — केंद्र क्या कर रहा है?

हाईकोर्ट ने मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम के मसौदा नियमों की मंजूरी में देरी पर केंद्र से जवाब मांगा, कहा—“नीतियां लागू करने में देरी मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही है।”

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने सोमवार (27 अक्टूबर 2025) को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 (Mental Healthcare Act) के तहत बनाए गए मसौदा नियमों की मंजूरी में देरी पर केंद्र सरकार से कड़ा सवाल किया। अदालत ने कहा कि केंद्र को यह स्पष्ट करना चाहिए कि मानसिक स्वास्थ्य जैसी गंभीर समस्या पर वह इतनी सुस्ती क्यों दिखा रहा है।

यह टिप्पणी उस समय आई जब अदालत में एक याचिका पर सुनवाई चल रही थी। याचिकाकर्ता ने अधिनियम के प्रमुख प्रावधानों को लागू करने की मांग की थी, जिसमें प्रत्येक जिले में मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड (Mental Health Review Boards) की स्थापना शामिल है।

सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने अदालत को सूचित किया कि राज्य में केवल 42 मानसिक रोगियों का पंजीकरण हुआ है। इस पर न्यायालय ने आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि यह आंकड़ा वास्तविक स्थिति को नहीं दर्शाता। न्यायालय ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं और ऐसे में सरकारों को सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।

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हरियाणा सरकार ने बताया कि उसने अधिनियम के मसौदा नियम तैयार कर केंद्र को भेज दिए हैं और अब उसकी मंजूरी की प्रतीक्षा है। अदालत ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द राज्यों को प्रतिक्रिया दे ताकि अधिनियम के प्रावधानों को जमीनी स्तर पर लागू किया जा सके।

अदालत ने यह भी कहा कि मानसिक स्वास्थ्य नीति को केवल दस्तावेजों तक सीमित रखना समाज और पीड़ितों के प्रति अन्याय है।

 

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