होमो ऑपर्च्युनिस्टिकस: जाति व्यवस्था का संयोगपूर्ण और विवादित विकास
इतिहासकार लेखक टोनी जोसेफ ने भारतीय इतिहास कांग्रेस में जाति व्यवस्था के संयोगपूर्ण और विवादित विकास पर व्याख्यान दिया और पूर्ववर्ती विद्वानों के शोध को आधार बनाने पर ज़ोर दिया।
प्रसिद्ध लेखक टोनी जोसेफ ने केरल के थालास्सेरी स्थित गवर्नमेंट ब्रेनन कॉलेज में आयोजित भारतीय इतिहास कांग्रेस के 84वें वार्षिक अधिवेशन में “होमो ऑपर्च्युनिस्टिकस: जाति व्यवस्था का संयोगपूर्ण और विवादित विकास” विषय पर एक अतिथि व्याख्यान दिया। यह व्याख्यान प्रसिद्ध इतिहासकार प्रोफेसर एमजीएस नारायणन की स्मृति को समर्पित था, जिनके कार्यों से प्रेरणा लेने की बात टोनी जोसेफ ने अपने संबोधन में कही।
अपने भाषण की शुरुआत में टोनी जोसेफ ने भारतीय इतिहास कांग्रेस और उसके पदाधिकारियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि भले ही उन्हें प्रोफेसर नारायणन से व्यक्तिगत रूप से मिलने का अवसर नहीं मिला, लेकिन उनके लेखन और शोध ने कई बार उनके बौद्धिक मार्ग को रोशन किया है। उन्होंने इसे अपने लिए एक बड़ा सम्मान बताया।
टोनी जोसेफ ने विनम्रता के साथ यह भी स्वीकार किया कि भारतीय इतिहास को लेकर उनकी समझ और मंच पर मौजूद अकादमिक इतिहासकारों के गहन ज्ञान के बीच एक बड़ा अंतर है। उन्होंने कहा कि भारतीय इतिहास जैसे जटिल और गहराई वाले विषय पर बोलना अपने आप में एक चुनौती है, क्योंकि इस विषय का विश्लेषण दशकों से देश-विदेश के श्रेष्ठ विद्वानों द्वारा किया जाता रहा है।
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उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य इतिहास की नई व्याख्या गढ़ना नहीं है, बल्कि पहले से मौजूद शोध, सिद्धांतों और ऐतिहासिक “औजारों” का नए और उपयोगी तरीके से इस्तेमाल करना है। टोनी जोसेफ ने कहा कि यदि उनके विचारों में कोई भी सार्थकता या नवीनता दिखाई देती है, तो उसका श्रेय उन इतिहासकारों और विद्वानों को जाना चाहिए, जिन्होंने इस क्षेत्र में पहले महत्वपूर्ण कार्य किया है।
अपने व्याख्यान में उन्होंने जाति व्यवस्था के विकास को एक स्थिर या पूर्व-निर्धारित प्रक्रिया के बजाय परिस्थितियों, अवसरों और सामाजिक टकरावों के परिणाम के रूप में देखने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। यह व्याख्यान श्रोताओं को भारतीय समाज और जाति की उत्पत्ति को नए दृष्टिकोण से समझने के लिए प्रेरित करता है।