IIT मद्रास ने पाया कि उत्तर भारत से आए एयरोसोल्स ने चेन्नई और दक्षिण-पूर्वी तट की वायु गुणवत्ता बिगाड़ी
IIT मद्रास और SRM IST के शोध में पाया गया कि उत्तर भारत से आने वाले एयरोसोल्स चेन्नई और दक्षिण-पूर्वी तट की वायु गुणवत्ता को बिगाड़ रहे हैं, जिससे स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।
IIT मद्रास के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया है कि उत्तर भारत से आने वाले एयरोसोल्स ने चेन्नई और दक्षिण-पूर्वी तट की वायु गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। इस अध्ययन में IIT मद्रास और SRM इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (SRM IST) के शोधकर्ताओं ने पूर्वी भारत में एयरोसोल्स के क्षेत्रीय परिवहन (regional aerosol transport) का विश्लेषण किया।
शोध में सामने आया कि उत्तर भारत में औद्योगिक गतिविधियाँ, वाहनों का उत्सर्जन और कृषि क्षेत्र से उत्पन्न धूल और कण पश्चिमी वायु धाराओं के माध्यम से दक्षिण-पूर्वी तट तक पहुंचते हैं, जिससे चेन्नई और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण बढ़ता है। यह प्रदूषण स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए खतरनाक माना जा रहा है।
अध्ययन के अनुसार, एयरोसोल्स के इस परिवहन के कारण PM2.5 और PM10 कणों की मात्रा में वृद्धि हुई है, जिससे सांस संबंधी बीमारियों और एलर्जी की घटनाएँ बढ़ सकती हैं। शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि स्थानीय प्रदूषण नियंत्रण उपायों के साथ-साथ क्षेत्रीय रणनीतियाँ अपनाना आवश्यक है, ताकि इस समस्या को प्रभावी रूप से नियंत्रित किया जा सके।
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विशेषज्ञों का मानना है कि यह अध्ययन भारत के पूर्वी तटीय क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन और स्वास्थ्य नीति निर्धारण के लिए महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करता है। यह न केवल प्रदूषण के स्रोतों की पहचान करता है बल्कि क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण और सतत विकास के लिए रणनीतियों को भी दिशा देता है।
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