सोशल मीडिया और निजी ईमेल तक ज़बरदस्ती पहुंच की अनुमति देने वाले आयकर विधेयक प्रावधानों को संसदीय समिति ने रखा बरकरार
संसदीय समिति ने आयकर विधेयक के उन प्रावधानों को बरकरार रखा है, जो कर अधिकारियों को सोशल मीडिया और निजी ईमेल अकाउंट्स तक ज़बरदस्ती पहुंच की अनुमति देते हैं।
21 जुलाई, 2025 को केंद्र सरकार ने लोकसभा में आयकर विधेयक 2025 पर आधारित 4,575 पृष्ठों की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस रिपोर्ट में एक प्रमुख बिंदु के रूप में, संसदीय स्थायी समिति ने उन प्रावधानों को बरकरार रखा है, जो आयकर अधिकारियों को सोशल मीडिया अकाउंट्स, निजी ईमेल और डिजिटल संवाद माध्यमों तक ज़बरदस्ती पहुंच की अनुमति देते हैं, यदि वे जांच के दौरान इसे आवश्यक समझें।
इन प्रावधानों को लेकर पहले से ही विभिन्न विपक्षी दलों, नागरिक स्वतंत्रता समूहों और डिजिटल अधिकार संगठनों ने गंभीर चिंता जताई है। उनका कहना है कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है और इसे बिना स्पष्ट निगरानी तंत्र या न्यायिक अनुमति के लागू किया जा सकता है, जिससे दुरुपयोग की संभावना बढ़ जाती है।
हालांकि, सरकार का कहना है कि ये प्रावधान केवल गंभीर मामलों और कर चोरी के मामलों में सख्त जांच के लिए हैं, जिससे काले धन की खोज और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर टैक्स चोरी की निगरानी में मदद मिलेगी।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि तकनीकी प्रगति के साथ जांच एजेंसियों को भी उन्नत टूल्स की आवश्यकता है ताकि वे डिजिटल साक्ष्यों का उपयोग कर सकें।
अब देखना यह होगा कि संसद में इस विधेयक पर बहस के दौरान विपक्ष और नागरिक संगठनों की मांगों को कितना महत्व दिया जाता है और क्या कोई संशोधन लाया जाएगा या नहीं।