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भारत की काबुल दूतावास योजना: दिल्ली में पूर्व सरकार के कर्मचारियों को भविष्य को लेकर चिंता

भारत काबुल में दूतावास खोलने की योजना बना रहा है। दिल्ली में पूर्व सरकार के कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं, जबकि तालिबान ने दूतावास में झंडे लगाकर राजनीतिक संदेश दिया।

भारत की काबुल में नई दूतावास खोलने की योजना के बीच, दिल्ली में पूर्व सरकार के कई कर्मचारियों ने अपने भविष्य और नौकरी की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की है। यह कदम अफगानिस्तान में बढ़ते राजनीतिक तनाव और तालिबान के सत्ता में आने के बाद सामने आया है।

विशेषज्ञों का कहना है कि काबुल दूतावास के लिए स्टाफिंग, सुरक्षा और कार्य संचालन की रूपरेखा पर अभी कई संभावित चुनौतियां हैं। पूर्व अधिकारियों का डर है कि नई नियुक्तियों और संचालन नीतियों में वे पिछड़ सकते हैं, और उनके अनुभव और पूर्व सेवा का पूरा लाभ नहीं मिल पाएगा।

साथ ही, तालिबान ने हाल की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिलाओं को शामिल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव को स्वीकार किया, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने बैठक और दूतावास की गतिविधियों का राजनीतिक संदेश भी दिया। सूत्रों के अनुसार, तालिबान ने इस अवसर का उपयोग करते हुए भारतीय दूतावास के भीतर अपने झंडे लगाने की कोशिश की, जिससे भारत और तालिबान के बीच सतर्कता और सावधानी की जरूरत बढ़ गई है।

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विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की यह पहल राजनयिक और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, लेकिन इसे सुरक्षा, संवेदनशीलता और अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुरूप संभालना होगा। कर्मचारियों को प्रशिक्षण, सुरक्षा उपाय और स्पष्ट कार्य नीति की आवश्यकता है।

कुल मिलाकर, काबुल में दूतावास खोलने का निर्णय भारत के लिए एक राजनीतिक और कूटनीतिक संकेत है, लेकिन इसके संचालन में पूर्व कर्मचारियों की चिंताओं और तालिबान की चालों पर नजर रखना आवश्यक है।

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