मैक्सिको के एकतरफा टैरिफ बढ़ाने पर भारत की आपत्ति, द्विपक्षीय बातचीत जारी
मैक्सिको के एकतरफा टैरिफ बढ़ाने पर भारत ने चिंता जताई है। बातचीत जारी है, लेकिन भारत ने निर्यातकों के हितों की रक्षा के लिए उचित कदम उठाने का अधिकार सुरक्षित रखा है।
भारत ने मैक्सिको द्वारा कई उत्पादों पर एकतरफा रूप से आयात शुल्क (टैरिफ) बढ़ाने के फैसले को लेकर आपत्ति जताई है और दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर बातचीत जारी है। एक सरकारी अधिकारी ने शनिवार (13 दिसंबर 2025) को बताया कि भारत, अपने निर्यातकों के हितों की रक्षा के लिए ‘उचित कदम’ उठाने का अधिकार सुरक्षित रखता है, हालांकि नई दिल्ली पारस्परिक रूप से लाभकारी समाधान निकालने के लिए मैक्सिको के साथ संवाद को प्राथमिकता दे रही है।
ये नए टैरिफ उन देशों पर लगाए गए हैं, जिनका मैक्सिको के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) नहीं है। इनमें भारत के अलावा चीन, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और इंडोनेशिया शामिल हैं। अधिकारी ने बताया कि भारत इस बिल के शुरुआती चरण में ही मैक्सिको के संपर्क में था। भारत के दूतावास ने 30 सितंबर 2025 को ही मैक्सिको के अर्थ मंत्रालय के समक्ष यह मुद्दा उठाया था और भारतीय निर्यात को बचाने के लिए विशेष रियायतों की मांग की थी।
सरकारी अधिकारी के अनुसार, भारत मैक्सिको के साथ अपने साझेदारी संबंधों को महत्व देता है और दोनों देशों के व्यवसायों व उपभोक्ताओं के हित में संतुलित व्यापार माहौल बनाने के लिए सहयोग को तैयार है। साथ ही, भारत और मैक्सिको के बीच मुक्त व्यापार समझौते को लेकर बातचीत शुरू करने की भी तैयारी है और इसके लिए शर्तें (ToR) जल्द ही अंतिम रूप ले सकती हैं।
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मैक्सिको की सीनेट ने 11 दिसंबर 2025 को इस नए टैरिफ प्रस्ताव को मंजूरी दी, जिसे बाद में संसद के दोनों सदनों से हरी झंडी मिल गई। इसके तहत लगभग 1,463 वस्तुओं पर 5% से लेकर 50% तक आयात शुल्क लगाया जाएगा, जो 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होगा।
भारतीय निर्यात संगठनों ने इस फैसले पर चिंता जताई है। एफआईईओ के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि इससे ऑटोमोबाइल, मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, रसायन, फार्मा, वस्त्र और प्लास्टिक जैसे क्षेत्रों पर नकारात्मक असर पड़ेगा। वर्ष 2024-25 में भारत का मैक्सिको को निर्यात 5.75 अरब डॉलर रहा, जबकि आयात 2.9 अरब डॉलर था।
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