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भारत का 60% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश टैक्स हेवन देशों में, सामने आई नई प्रवृत्ति

RBI आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 में भारत के लगभग 60% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश टैक्स हेवन देशों जैसे सिंगापुर, मॉरीशस, यूएई और स्विट्ज़रलैंड में गए, जिससे रणनीतिक महत्व उजागर हुआ।

भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशों में किए जा रहे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Outward FDI) का बड़ा हिस्सा तथाकथित ‘टैक्स हेवन’ देशों में जा रहा है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के आधार पर किए गए विश्लेषण से पता चला है कि वित्त वर्ष 2024-25 में लगभग 56% निवेश ऐसे देशों में हुआ, जहां कर व्यवस्था अपेक्षाकृत कम है। इनमें सिंगापुर, मॉरीशस, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), नीदरलैंड्स, ब्रिटेन और स्विट्ज़रलैंड जैसे देश प्रमुख हैं।

विश्लेषकों का कहना है कि टैक्स हेवन देशों में निवेश का बढ़ता रुझान केवल कर बचाव तक सीमित नहीं है, बल्कि ये देश रणनीतिक और व्यावसायिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। सिंगापुर और यूएई दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व में व्यापारिक केंद्र माने जाते हैं, वहीं नीदरलैंड्स और ब्रिटेन यूरोप में निवेश और वित्तीय गतिविधियों के लिए अहम भूमिका निभाते हैं।

RBI के आंकड़े बताते हैं कि भारतीय कंपनियां वैश्विक स्तर पर अपने परिचालन और बाज़ार का विस्तार करने के लिए इन देशों को प्राथमिकता दे रही हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, टैक्स हेवन देश निवेशकों को आसान नियामकीय ढांचा, कम कर दर और व्यवसाय करने में सुविधा प्रदान करते हैं। हालांकि, इससे कर पारदर्शिता और पूंजी पलायन को लेकर चिंताएँ भी सामने आती हैं।

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नीतिगत स्तर पर यह सवाल उठ रहा है कि क्या भारत को इन निवेश प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए या फिर इन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा और रणनीतिक विस्तार के अवसर के रूप में देखना चाहिए। आने वाले समय में यह विषय सरकार, उद्योग और वैश्विक वित्तीय संस्थानों के बीच बड़ी बहस का कारण बन सकता है।

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