भारत में महामारी से हुई मौतों का सही आंकड़ा अब भी अधूरा
कोविड-19 महामारी के वर्षों बाद भी भारत में हुई मौतों का सटीक आंकड़ा स्पष्ट नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि आधिकारिक आंकड़ों और वास्तविक मौतों में बड़ा अंतर हो सकता है।
कोविड-19 महामारी के तीन साल बाद भी भारत में इससे हुई वास्तविक मौतों का सटीक आंकड़ा सामने नहीं आ पाया है। विशेषज्ञों का मानना है कि आधिकारिक आंकड़े और वास्तविक मौतों में बड़ा अंतर हो सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में महामारी से हुई मौतों का अनुमान आधिकारिक सरकारी आंकड़ों से कई गुना अधिक हो सकता है। इसका मुख्य कारण है ग्रामीण क्षेत्रों में कम टेस्टिंग, मौतों का सही तरह से रजिस्ट्रेशन न होना और कई राज्यों में डेटा रिपोर्टिंग में देरी या कमी।
महामारी के दौरान भारत ने बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए कदम उठाए, लेकिन सही मौतों का रिकॉर्ड रखना चुनौतीपूर्ण रहा। कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड से हुई मौतों का सही आंकड़ा जानना आवश्यक है ताकि भविष्य में महामारी से निपटने के लिए बेहतर नीतियां बनाई जा सकें।
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सरकारी अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि शुरुआती चरणों में डेटा संग्रह की प्रक्रिया में कई खामियां थीं, लेकिन बाद में इसमें सुधार किया गया। बावजूद इसके, लाखों मौतें ऐसी हो सकती हैं जो आधिकारिक आंकड़ों में दर्ज नहीं हुईं।
स्वास्थ्य विश्लेषकों का मानना है कि वास्तविक आंकड़ों का पता लगाने के लिए राज्यों और केंद्र को मिलकर एक विस्तृत सर्वे और डेटा ऑडिट करना होगा। इससे न केवल महामारी से हुई क्षति का सही अनुमान लगाया जा सकेगा, बल्कि भविष्य की आपदा प्रबंधन रणनीतियों को भी मजबूत किया जा सकेगा।
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