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भारत के पावर रिटेल मार्केट में बदलाव, ड्राफ्ट बिल निजी कंपनियों के लिए खोलेगा दरवाजा

केंद्र का ड्राफ्ट बिल पावर रिटेल मार्केट में निजी कंपनियों के प्रवेश की राह खोलेगा, राज्य-नियंत्रित वितरकों का प्रभुत्व कम होगा और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।

भारत के पावर रिटेल मार्केट में बड़े बदलाव की संभावना है, क्योंकि केंद्र सरकार ने एक नया ड्राफ्ट बिल पेश किया है, जो निजी कंपनियों को इस क्षेत्र में प्रवेश करने का रास्ता खोलता है। इस पहल से राज्य-नियंत्रित बिजली वितरकों के लंबे समय से चले आ रहे प्रभुत्व को चुनौती मिलने की उम्मीद है।

ड्राफ्ट बिल का उद्देश्य बिजली वितरण और बिक्री के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ाना है। इसके तहत निजी कंपनियां भी सीधे उपभोक्ताओं को बिजली बेच सकेंगी, जिससे सेवा की गुणवत्ता में सुधार और बिजली की कीमतों में प्रतिस्पर्धात्मक बदलाव की संभावना बढ़ेगी। इसके अलावा, उपभोक्ताओं को अधिक विकल्प मिलेंगे और बिजली की उपलब्धता और वितरण में दक्षता बढ़ सकती है।

विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य संचालित वितरण कंपनियों की पकड़ कमजोर होने के साथ-साथ बाजार में नए निवेशकों की भागीदारी बढ़ेगी। इससे न केवल बिजली क्षेत्र में नवाचार आएगा, बल्कि वित्तीय दृष्टि से भी इसका लाभ हो सकता है। निजी खिलाड़ियों के प्रवेश से नई तकनीकों और स्मार्ट ग्रिड समाधानों के विकास को बढ़ावा मिलेगा।

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केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य पूरे देश में बिजली वितरण और रिटेल सेक्टर को और पारदर्शी, कुशल और प्रतिस्पर्धात्मक बनाना है। ड्राफ्ट बिल को अपनाने के बाद बिजली क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सुधार और निजी निवेशकों की भागीदारी बढ़ने की उम्मीद है।

विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि इस परिवर्तन से उपभोक्ताओं के लिए बेहतर सेवा, प्रतिस्पर्धात्मक दरें और ऊर्जा क्षेत्र में दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित होगी।

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