भारत ने ब्रिटिश संसदीय रिपोर्ट में लगाए गए ‘अंतरराष्ट्रीय दमन’ के आरोप खारिज किए
भारत ने ब्रिटिश संसदीय रिपोर्ट में लगाए गए ‘अंतरराष्ट्रीय दमन’ के आरोपों को आधारहीन बताया। रिपोर्ट में भारत सहित कई देशों पर विदेशों में राजनीतिक विरोधियों को दबाने का आरोप लगाया गया है।
ब्रिटिश संसद की एक नई रिपोर्ट में भारत का नाम उन देशों में शामिल किया गया है जो ब्रिटेन में रहने वाले लोगों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दमनात्मक गतिविधियों में संलिप्त बताए गए हैं। इस रिपोर्ट का शीर्षक "Transnational repression in the U.K." है और इसे 30 जुलाई को सार्वजनिक किया गया।
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि भारत सहित कई देश अपने विरोधियों, कार्यकर्ताओं और निर्वासित नागरिकों पर निगरानी रखते हैं और उन्हें धमकी देकर या जबरन दबाव डालकर चुप कराने की कोशिश करते हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि इन गतिविधियों का उद्देश्य राजनीतिक असहमति को दबाना और विदेशों में रह रहे आलोचकों को निशाना बनाना है।
भारत सरकार ने इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह निष्कर्ष तथ्यों पर आधारित नहीं है और भारत की लोकतांत्रिक छवि को धूमिल करने का प्रयास है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत हमेशा से लोकतांत्रिक मूल्यों और कानून के शासन का पालन करता आया है और किसी भी प्रकार की अवैध अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई में संलिप्त नहीं है।
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रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन की सरकार को इन देशों द्वारा की जा रही कथित दमनात्मक कार्रवाइयों पर सख्त कदम उठाने चाहिए। इसमें निगरानी तकनीक, डराने-धमकाने की रणनीति और हिंसात्मक हमलों का उल्लेख किया गया है। हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया कि वह ब्रिटेन सहित सभी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण और कानूनसम्मत रिश्तों को महत्व देता है और इस तरह के आरोप पूरी तरह आधारहीन हैं।
ब्रिटिश सांसदों ने कहा है कि रिपोर्ट में शामिल सभी नामित देशों से जवाब तलब किया जाएगा ताकि इस मुद्दे पर पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।
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