भारत–अमेरिका ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद पर कड़े कदमों की मांग की
भारत और अमेरिका ने LeT, JeM, ISIS और अल-कायदा से जुड़े संगठनों पर कड़े UN प्रतिबंध की मांग की। दोनों देशों ने आतंकवाद विरोधी सहयोग और तकनीक के दुरुपयोग पर चिंता जताई।
भारत और अमेरिका ने पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM), उनके सहयोगियों और समर्थकों के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र (UN) से अतिरिक्त दंडात्मक कदम उठाने की मांग की है। दोनों देशों ने संयुक्त रूप से मांग की कि इन संगठनों पर वैश्विक स्तर पर संपत्ति फ्रीज़, यात्रा प्रतिबंध और हथियारों के embargo को और कड़ा किया जाए।
दोनों पक्षों ने ISIS और अल-कायदा के सहयोगी संगठनों को भी UN प्रतिबंध सूची में और व्यापक रूप से शामिल करने की जरूरत पर जोर दिया।
भारत और अमेरिका के बीच यह चर्चा 3 दिसंबर को नई दिल्ली में आयोजित संयुक्त कार्यसमूह (JWG) बैठक और डिज़िग्नेशन संवाद के दौरान हुई।
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भारत ने अमेरिका को The Resistance Front (TRF) को विदेशी आतंकी संगठन (FTO) और वैश्विक विशेष नामित आतंकी (SDGT) घोषित करने के लिए धन्यवाद दिया। TRF ने पहलगाम आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी।
साझा बयान में कहा गया कि आतंकवाद से लड़ने के लिए लंबे समय तक समन्वित और व्यापक प्रयास आवश्यक हैं। इसी संदर्भ में दोनों देशों ने UN, क्वाड और FATF के माध्यम से आतंकवाद विरोधी सहयोग बढ़ाने का संकल्प दोहराया।
दोनों देशों ने सभी प्रकार के आतंकवाद, विशेष रूप से सीमापार आतंकवाद, की कड़ी निंदा की। उन्होंने UAVs, ड्रोन और AI के आतंकी इस्तेमाल पर गहरी चिंता जताई।
दोनों पक्षों ने पहलगाम आतंकी हमले और लाल किले के पास हालिया हमले की कड़ी निंदा की और कहा कि जिम्मेदार लोगों को सख्त सजा मिलनी चाहिए।
बैठक में आतंकी भर्ती, तकनीक के दुरुपयोग, साइबर सुरक्षा, प्रशिक्षण, वित्त पोषण, और सूचना-साझा करने सहित कई पारंपरिक और उभरते खतरों पर चर्चा हुई।
भारत और अमेरिका ने कानून-प्रवर्तन और न्यायिक सहयोग को भी मजबूत करने पर सहमति जताई।
इन बैठकों में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (काउंटर टेररिज़्म) विनोद बहाडे ने किया, जबकि अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व मोनिका जैकबसेन ने किया।
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