नौसेना में शामिल हुआ दूसरा सीहॉक्स स्क्वाड्रन: जानिए क्या है MH-60R और कैसे बढ़ाएंगे भारत की रक्षा क्षमता
भारतीय नौसेना ने गोवा में MH-60R सीहॉक्स का दूसरा स्क्वाड्रन INAS 335 शामिल किया, जिससे पनडुब्बी रोधी, निगरानी और ब्लू-वॉटर ऑपरेशन क्षमताएं और मजबूत होंगी।
भारतीय नौसेना ने अपनी समुद्री ताकत को और मजबूत करते हुए बुधवार को MH-60R सीहॉक्स हेलिकॉप्टरों के दूसरे स्क्वाड्रन को औपचारिक रूप से शामिल कर लिया। यह नया स्क्वाड्रन INAS 335 है, जिसे गोवा स्थित INS हंसा में कमीशन किया गया। इस स्क्वाड्रन को ‘ऑस्प्रेज़’ नाम दिया गया है, जो मछली का शिकार करने वाले शिकारी पक्षी के नाम पर रखा गया है।
नौसेना के अनुसार, MH-60R सीहॉक्स हेलिकॉप्टर पारंपरिक और असममित, दोनों प्रकार के खतरों से निपटने की उन्नत क्षमता प्रदान करते हैं। ये हेलिकॉप्टर अमेरिका में निर्मित हैं और ब्लैक हॉक हेलिकॉप्टर के समुद्री संस्करण हैं। हालांकि, इन्हें Bell Boeing V-22 ऑस्प्रे से अलग समझना जरूरी है, जो एक सैन्य परिवहन विमान है।
MH-60R हेलिकॉप्टरों की तैनाती से भारतीय नौसेना की पनडुब्बी रोधी युद्ध (Anti-Submarine Warfare), समुद्री निगरानी और खुफिया क्षमता में बड़ा इजाफा होगा। ये हेलिकॉप्टर आधुनिक रडार, सोनार, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम और उन्नत हथियारों से लैस है, जिससे समुद्र के भीतर और सतह पर मौजूद खतरों की पहचान और उन्हें निष्क्रिय करना आसान होगा।
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नौसेना का कहना है कि ये हेलिकॉप्टर हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की “ब्लू-वॉटर नेवी” क्षमताओं को और सशक्त बनाएंगे। इससे लंबी दूरी तक समुद्री अभियानों, निगरानी मिशनों और नौसैनिक जहाजों की सुरक्षा में मदद मिलेगी।
INAS 335 की कमीशनिंग भारत की समुद्री सुरक्षा रणनीति के लिहाज से एक अहम कदम मानी जा रही है। बढ़ती वैश्विक और क्षेत्रीय चुनौतियों के बीच यह स्क्वाड्रन भारत की समुद्री सीमाओं की रक्षा, व्यापारिक मार्गों की सुरक्षा और रणनीतिक हितों को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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