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भारतीय रेलवे के पूर्वोत्तर क्षेत्र में ट्रेनों में कम्पोस्टेबल बायो-प्लास्टिक का इस्तेमाल शुरू

पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने ट्रेनों में बेडरोल पैकेजिंग के लिए कम्पोस्टेबल बायो-प्लास्टिक का उपयोग शुरू किया। यह सामग्री IIT गुवाहाटी में विकसित हुई है और प्लास्टिक प्रदूषण कम करने में मदद करेगी।

भारतीय रेलवे के पूर्वोत्तर सीमांत (Easternmost) क्षेत्र ने ट्रेनों में यात्रियों को उपलब्ध कराए जाने वाले बेडरोल पैकेजिंग के लिए पारंपरिक प्लास्टिक की जगह अब कम्पोस्टेबल बायो-प्लास्टिक का उपयोग शुरू कर दिया है। यह पर्यावरण-अनुकूल कदम रेलवे के ग्रीन मिशन को मजबूत करेगा और सिंगल-यूज़ प्लास्टिक पर निर्भरता को कम करेगा।

रेलवे अधिकारियों के अनुसार, यह बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग सामग्री भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) गुवाहाटी में विकसित की गई है। इस सामग्री को विशेष रूप से इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह प्राकृतिक रूप से विघटित होकर पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाए। रेलवे का मानना है कि इस पहल से कचरे के प्रबंधन में सुधार होगा और स्टेशन परिसरों एवं ट्रेनों में प्लास्टिक प्रदूषण में उल्लेखनीय कमी आएगी।

पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे क्षेत्र ने इसे एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया है, जिसे सफल होने पर देश के अन्य जोनों में भी लागू किया जा सकता है। रेलवे का कहना है कि यह पहल प्रधानमंत्री के "स्वच्छ भारत मिशन" और "प्लास्टिक फ्री इंडिया" के लक्ष्य के अनुरूप है।

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पर्यावरण विशेषज्ञों ने इसे रेलवे के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। उनका कहना है कि यदि इस तकनीक का बड़े पैमाने पर उपयोग हुआ तो रेलवे प्रतिवर्ष उत्पन्न होने वाले टनों प्लास्टिक कचरे को खत्म करने में सफल हो सकेगा।

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