गाज़ा युद्ध से दुनिया में अकेला पड़ता इज़राइल: अर्थव्यवस्था, संस्कृति और खेलों में बहिष्कार
गाज़ा युद्ध और नरसंहार आरोपों से इज़राइल वैश्विक अलगाव का सामना कर रहा है। आर्थिक प्रतिबंध, हथियार प्रतिबंध और सांस्कृतिक बहिष्कार से उसका अंतरराष्ट्रीय दबदबा बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
गाज़ा में युद्ध और मानवीय संकट के चलते इज़राइल वैश्विक स्तर पर बढ़ती अलगाव की स्थिति में पहुंच गया है। यह नाराज़गी अब अर्थव्यवस्था, संस्कृति और खेल जगत तक फैल रही है।
इज़राइल द्वारा गाज़ा सिटी पर ज़मीनी हमले और कतर में हमास नेतृत्व पर की गई अभूतपूर्व कार्रवाई के बाद अंतरराष्ट्रीय आलोचना तेज़ हो गई। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की स्वतंत्र जांच में पहली बार इज़राइल पर फ़िलिस्तीनियों के ख़िलाफ़ नरसंहार का दोषारोपण किया गया, जिसे इज़राइली सरकार ने खारिज कर दिया।
यूरोपीय संघ, जो इज़राइल का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, ने अपने मुक्त व्यापार समझौते को आंशिक रूप से निलंबित करने हेतु प्रतिबंधों का प्रस्ताव रखा है। कई पश्चिमी देशों ने पहले ही इज़राइली संगठनों और व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाए हैं।
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नॉर्वे के सबसे बड़े सम्प्रभु धन कोष ने भी इज़राइल से निवेश हटाने का ऐलान किया। साथ ही, फ्रांस, इटली, स्पेन और ब्रिटेन सहित कई देशों ने हथियार निर्यात पर आंशिक या पूर्ण रोक लगाई है।
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने खुद स्वीकार किया कि इज़राइल “एक प्रकार के अलगाव” का सामना कर रहा है, जो वर्षों तक रह सकता है।
संस्कृति जगत में भी असर दिख रहा है। आयरलैंड, नीदरलैंड्स और स्पेन जैसे देशों ने चेतावनी दी है कि यदि इज़राइल को अनुमति मिली तो वे 2026 के यूरोविज़न सॉन्ग कॉन्टेस्ट का बहिष्कार करेंगे। वहीं बेल्जियम के एक संगीत महोत्सव ने इज़राइली कंडक्टर लहव शानी के कार्यक्रम को रद्द कर दिया।
इज़राइल का कहना है कि उसका युद्ध अंतरराष्ट्रीय क़ानून के तहत आत्मरक्षा है और नरसंहार के सभी आरोप निराधार हैं।
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