भारत की मेक इन इंडिया शर्त पूरी करने को तैयार इज़राइली कंपनी IAI
इज़राइली कंपनी IAI ने भारतीय वायुसेना के 8,000 करोड़ रुपये के रीफ्यूलर विमान सौदे के लिए 30% ‘मेक इन इंडिया’ शर्त मान ली है, जिससे परियोजना जल्द आगे बढ़ने की संभावना बढ़ी।
इज़राइल की प्रमुख रक्षा उत्पादक कंपनी Israel Aerospace Industries (IAI) ने कहा है कि वह भारत सरकार की 30% ‘मेक इन इंडिया’ अनिवार्यता को पूरी तरह से पूरा करने के लिए तैयार है। लगभग 8,000 करोड़ रुपये की यह परियोजना भारतीय वायुसेना के लिए छह नए मिड-एयर रीफ्यूलर विमान उपलब्ध कराने से संबंधित है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय वायुसेना इस सौदे को जल्द ही अंतिम रूप दे सकती है, जिसमें इज़राइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज एकमात्र शेष विक्रेता है। IAI के एक्ज़ीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट यहूदा लाहव ने कहा कि कंपनी स्थानीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है और भारत की जरूरतों के अनुसार ‘लोकल कंटेंट’ उपलब्ध कराने के लिए पूरी तरह तैयार है। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि इन विमानों को कहाँ तैयार किया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, IAI छह पुराने बोइंग 767 वाणिज्यिक विमानों को रीफ्यूलर विमान में परिवर्तित करके भारतीय वायुसेना को आपूर्ति करेगा। रिपोर्ट में बताया गया कि IAI ने 30% स्थानीय सामग्री की आवश्यकता को स्वीकार किया है, जिसके कारण वह अंतिम चरण में अकेला दावेदार रह गया है। इस प्रतिस्पर्धा में रूसी और यूरोपीय कंपनियाँ भी शामिल थीं, लेकिन वे आवश्यक शर्तें पूरी नहीं कर पाईं।
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भारतीय वायुसेना वर्तमान में छह रूसी IL-78 रीफ्यूलर विमानों का उपयोग करती है, जो आगरा में तैनात हैं। बीते 15 वर्षों में वायुसेना ने नए रीफ्यूलर विमान खरीदने के कई प्रयास किए, लेकिन अलग-अलग कारणों से प्रयास सफल नहीं हो सके। हाल ही में वायुसेना ने एक रीफ्यूलर विमान को ‘वेट-लीज़’ पर लिया है, लेकिन बढ़ती जरूरतों को देखते हुए बड़े बेड़े की आवश्यकता है। नई पीढ़ी के लड़ाकू विमान लंबी दूरी तक उड़ान भरने में सक्षम हैं और मिड-एयर रीफ्यूलिंग से उनकी क्षमता और बढ़ जाती है।
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