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जयशंकर-मुत्ताकी बैठक दिल्ली में: दो अफगानिस्तान झंडे, कोई महिला पत्रकार नहीं और बामियान बुद्ध

दिल्ली की जयशंकर-मुत्ताकी बैठक में दोनों पक्षों के झंडे नहीं, कोई महिला पत्रकार नहीं और अफगानिस्तान को विदेश मंत्री के रूप में संबोधित किया गया, बामियान बुद्ध पर चर्चा हुई।

दिल्ली में हैदराबाद हाउस में आयोजित भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी की बैठक में कई ध्यान देने योग्य पहलुओं ने चर्चा को आकर्षित किया। सबसे पहले, बैठक में दोनों पक्षों के झंडे नहीं रखे गए, जिससे किसी भी संभावित कूटनीतिक चुनौती से बचा जा सका।

बैठक के दौरान कोई महिला पत्रकार उपस्थित नहीं थी, जिससे मीडिया कवरेज सीमित रहा। यह कदम भी शायद दोनों पक्षों की संवेदनशील कूटनीतिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए उठाया गया।

बैठक में भारतीय पक्ष ने मुत्ताकी को अफगानिस्तान के विदेश मंत्री के रूप में संबोधित किया। इस प्रकार उन्होंने गणराज्य बनाम अमीरात के विवाद में सीधे तौर पर हस्तक्षेप नहीं किया। यह एक रणनीतिक निर्णय माना जा रहा है ताकि दोनों देशों के बीच संवाद सुचारु और विवादमुक्त रहे।

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बैठक में अफगानिस्तान की सांस्कृतिक विरासत और स्थिरता पर भी चर्चा हुई। खासकर बामियान बुद्धों के संरक्षण और ऐतिहासिक धरोहरों के महत्व पर विचार किया गया। यह संकेत देता है कि भारत अफगानिस्तान के सांस्कृतिक और सामाजिक मुद्दों में भी रुचि रखता है और सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह बैठक दोनों देशों के बीच कूटनीतिक रिश्तों को संतुलित और सुरक्षित रखने का प्रयास है। किसी भी पक्षपात या विवाद को रोकने के लिए सभी निर्णय सावधानीपूर्वक लिए गए।

इस तरह की बैठकों से यह स्पष्ट होता है कि भारत अफगानिस्तान के साथ राजनीतिक, सांस्कृतिक और कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जबकि संवेदनशील मुद्दों में किसी भी तरह की सार्वजनिक आलोचना से बच रहा है।

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