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7/11 बम धमाकों में बरी हुए आरोपियों के पीछे 19 वर्षों से काम कर रही एक कानूनी टीम

जमीयत उलमा-ए-हिंद की कानूनी टीम ने 19 वर्षों की मेहनत से मुंबई 7/11 बम धमाकों के 12 आरोपियों को बरी करवाया, जांच एजेंसियों की जवाबदेही की मांग उठाई।

मुंबई की लोकल ट्रेनों में 2006 में हुए 7/11 बम धमाकों में जिन 12 आरोपियों को हाल ही में बरी किया गया है, उनके पीछे एक कानूनी टीम का 19 वर्षों का सतत और सधा हुआ प्रयास रहा है। यह कानूनी सहायता जमीयत उलमा-ए-हिंद की लीगल सेल द्वारा दी गई, जिसने बिना किसी प्रचार के न्याय की इस लंबी लड़ाई को अंजाम तक पहुँचाया।

जमीयत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने कहा कि यह केवल इन निर्दोष व्यक्तियों की रिहाई की बात नहीं है, बल्कि जांच एजेंसियों की विफलताओं की भी गहराई से जांच होनी चाहिए। उन्होंने पूछा कि जब इन 12 लोगों को अदालत ने बरी कर दिया है, तो असल दोषी अब तक कहाँ हैं और उन्हें न्याय के कटघरे में कब लाया जाएगा?

इस केस में कानूनी सेल के वकीलों ने सभी सबूतों और गवाहियों की बारीकी से जांच की और अदालत के सामने यह प्रमाणित किया कि इन आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं थे। टीम का कहना है कि केवल आतंक के आरोपों में फँसा देना पर्याप्त नहीं होता, कानून के अनुसार न्यायसंगत कार्रवाई जरूरी है।

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इस लंबे मुकदमे के दौरान जिन आरोपियों ने सालों जेल में गुज़ारे, उनके जीवन के खोए हुए वर्षों के लिए अब सवाल उठाए जा रहे हैं। जमीयत ने इस मामले को मिसाल बताया है कि कैसे न्याय के लिए प्रतिबद्ध प्रयास और धैर्य, समय के साथ सच्चाई को सामने ला सकते हैं।

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