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जम्मू-कश्मीर में आरबीए श्रेणी खत्म करने का कदम कश्मीरी प्रतिनिधित्व को कमजोर करेगा: पीडीपी नेता वहीद पारा

पीडीपी नेता वहीद पारा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार का आरबीए श्रेणी खत्म करने का निर्णय राजनीतिक हेरफेर है, जिससे कश्मीरी प्रतिनिधित्व और क्षेत्रीय संतुलन दोनों प्रभावित होंगे।

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के युवा नेता वहीद-उर-रहमान पारा ने जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा आरक्षित पिछड़ा क्षेत्र (आरबीए) श्रेणी को समाप्त करने के प्रस्ताव की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि यह फैसला कश्मीर के सामाजिक और राजनीतिक प्रतिनिधित्व को कमजोर करने वाला कदम है और इसका उद्देश्य क्षेत्रीय संतुलन को बदलना है।

पारा ने कहा कि आरबीए श्रेणी का उद्देश्य उन पिछड़े और सीमावर्ती इलाकों के लोगों को शिक्षा, नौकरियों और शासन में समान अवसर देना था, जो दशकों से विकास की दौड़ में पीछे रह गए हैं। “इस श्रेणी को खत्म करना सिर्फ एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि एक राजनीतिक हेरफेर है,”।

उनका कहना कि जम्मू-कश्मीर में इस तरह की नीतिगत बदलावों से क्षेत्रीय असमानता बढ़ेगी और जो समुदाय पहले से ही हाशिए पर हैं, वे और अधिक उपेक्षित हो जाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि यह कदम कश्मीर के राजनीतिक प्रतिनिधित्व को कम करने और स्थानीय पहचान को कमजोर करने की एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है।

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पीडीपी नेता ने केंद्र और उपराज्यपाल प्रशासन से अपील की कि वे इस निर्णय को तुरंत वापस लें और किसी भी प्रकार की आरक्षण नीति में बदलाव से पहले व्यापक जनसुनवाई करें। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ऐसा नहीं हुआ, तो इससे सामाजिक असंतोष और क्षेत्रीय तनाव बढ़ सकता है।

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