झारखंड अल्पसंख्यक आयोग ने नन और आदिवासी नाबालिगों से पूछताछ पर दक्षिणपंथी संगठनों के खिलाफ संज्ञान लिया
झारखंड अल्पसंख्यक आयोग ने नन और आदिवासी नाबालिगों से दक्षिणपंथी संगठनों की पूछताछ पर संज्ञान लिया; प्रशासन से रिपोर्ट तलब कर सुरक्षा और रोकथाम के सख्त कदम उठाने को कहा।
झारखंड अल्पसंख्यक आयोग ने एक गंभीर मामले पर संज्ञान लिया है, जिसमें कुछ दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा एक नन और आदिवासी नाबालिगों से कथित रूप से पूछताछ किए जाने की शिकायत सामने आई है। आयोग ने कहा कि यह घटना न केवल धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है, बल्कि नाबालिगों के अधिकारों और सुरक्षा को भी खतरे में डालती है।
रिपोर्टों के अनुसार, दक्षिणपंथी संगठनों के सदस्यों ने एक नन और आदिवासी बच्चों से उनकी धार्मिक गतिविधियों और निजी जीवन से जुड़े सवाल पूछे। इस घटना के बाद स्थानीय स्तर पर तनाव का माहौल पैदा हो गया। आयोग ने इस पूरे प्रकरण पर चिंता जताते हुए जिला प्रशासन से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
अल्पसंख्यक आयोग ने स्पष्ट किया कि किसी भी समूह को कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है। यदि किसी गतिविधि पर संदेह है, तो उसे संबंधित प्रशासनिक या न्यायिक संस्थाओं के समक्ष उठाना चाहिए। नाबालिगों से इस तरह की पूछताछ न केवल गैरकानूनी है बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।
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आयोग ने प्रशासन को यह भी निर्देश दिया है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, इसके लिए सख्त कदम उठाए जाएं। साथ ही, नन और नाबालिगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी स्थानीय पुलिस और प्रशासन की होगी।
इस घटना ने झारखंड में अल्पसंख्यक समुदायों के बीच चिंता को बढ़ा दिया है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा करना सरकार और प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए।
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