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स्वयंभू धर्मगुरु चैतन्यानंद सरस्वती की जमानत याचिका की सुनवाई से न्यायाधीश ने खुद को अलग किया

न्यायाधीश ने चैतन्यानंद सरस्वती की जमानत याचिका की सुनवाई से खुद को अलग किया। इससे पहले अदालत ने उन्हें बिना प्याज-लहसुन भोजन और दवाओं की अनुमति दी थी।

स्वयंभू धर्मगुरु चैतन्यानंद सरस्वती की जमानत याचिका पर सुनवाई से एक न्यायाधीश ने खुद को अलग कर लिया है। यह फैसला गुरुवार को उस समय आया जब मामले की सुनवाई शुरू होने वाली थी। न्यायाधीश ने किसी व्यक्तिगत या औपचारिक कारण का उल्लेख नहीं किया, लेकिन उन्होंने कहा कि वे इस मामले की सुनवाई नहीं करेंगे और इसे किसी अन्य न्यायाधीश को सौंपा जाएगा।

इससे पहले, बुधवार (8 अक्टूबर) को एक मजिस्ट्रेट अदालत ने चैतन्यानंद सरस्वती को कुछ अंतरिम राहत दी थी। अदालत ने आदेश दिया था कि उन्हें बिना प्याज और लहसुन का भोजन, दवा और चश्मा उपलब्ध कराया जाए। यह आदेश उनके अधिवक्ताओं की ओर से दायर एक याचिका पर दिया गया था, जिसमें कहा गया था कि जेल में उन्हें उनकी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भोजन और आवश्यक वस्तुएं नहीं मिल रही हैं।

चैतन्यानंद सरस्वती फिलहाल एक आपराधिक मामले में न्यायिक हिरासत में हैं। उनके खिलाफ गंभीर आरोपों की जांच जारी है। अदालत ने यह भी निर्देश दिया था कि जेल प्रशासन यह सुनिश्चित करे कि उनकी बुनियादी जरूरतें पूरी हों और चिकित्सकीय देखभाल में कोई कमी न हो।

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न्यायाधीश के मामले से अलग होने के बाद अब इस जमानत याचिका की सुनवाई किसी अन्य अदालत में होगी। इस घटना ने एक बार फिर चर्चित संत के खिलाफ चल रहे मामले को सुर्खियों में ला दिया है।

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