कन्नड़ कार्यकर्ता एस.आर. सुदर्शन का निधन
कन्नड़ कार्यकर्ता एस.आर. सुदर्शन का निधन। कन्नड़ भाषा और संस्कृति के संरक्षण के लिए उनका योगदान अमूल्य रहा। राजनीतिक व सामाजिक नेताओं ने शोक व्यक्त करते हुए उनके विचारों को प्रेरणादायक बताया।
प्रसिद्ध कन्नड़ कार्यकर्ता एस.आर. सुदर्शन का निधन हो गया। वे लंबे समय से कन्नड़ भाषा, संस्कृति और क्षेत्रीय पहचान के संरक्षण व संवर्धन के लिए सक्रिय रहे। उनके निधन से कन्नड़ साहित्यिक एवं सामाजिक जगत में शोक की लहर है।
सुदर्शन कन्नड़ आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक थे। उन्होंने कई बार कन्नड़ भाषा को प्राथमिकता दिलाने के लिए सरकार और प्रशासन से संघर्ष किया। उनका मानना था कि क्षेत्रीय भाषाओं के बिना भारतीय संस्कृति अधूरी है और इनका संरक्षण करना हर नागरिक का दायित्व है।
सुदर्शन ने कन्नड़ भाषा के लिए शिक्षा, प्रशासन और रोजगार में प्राथमिकता सुनिश्चित करने की मांग उठाई। वे विभिन्न जन आंदोलनों से जुड़े रहे और कन्नड़ साहित्य के प्रचार-प्रसार में भी उनका योगदान उल्लेखनीय रहा। उनके नेतृत्व में कई जागरूकता अभियानों ने लोगों को अपनी मातृभाषा से जुड़ने के लिए प्रेरित किया।
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उनके निधन पर विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों ने गहरा शोक व्यक्त किया है। नेताओं और कार्यकर्ताओं ने कहा कि सुदर्शन का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकेगा और उनकी सोच आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
परिवार के अनुसार, अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव में किया जाएगा, जहां बड़ी संख्या में लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्र होने की संभावना है।
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