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क्या 33 बीएलओ की मौत ठीक है? — कपिल सिब्बल ने सरकार पर साधा निशाना

बीएलओ की मौतों पर कपिल सिब्बल ने सरकार को घेरते हुए सवाल उठाया कि घुसपैठियों पर सख्ती सही है, लेकिन देशभर में 33 बीएलओ की मौतें क्या स्वीकार्य हैं?

राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने सोमवार (29 दिसंबर, 2025) को देश के विभिन्न हिस्सों में बूथ लेवल ऑफिसर्स (बीएलओ) की मौतों को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर एक कथित “घुसपैठिया” का होना स्वीकार्य नहीं है, तो फिर बीएलओ की मौतों को कैसे स्वीकार किया जा सकता है।

कपिल सिब्बल की यह टिप्पणी पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा जिले में एक बीएलओ की मौत के एक दिन बाद आई है। इस घटना के बाद आरोप लगाए गए कि चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) अभियान के तहत काम का अत्यधिक दबाव इस मौत की वजह हो सकता है।

सिब्बल ने The Indian Witness प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करते हुए लिखा, “बंगाल में एक और बीएलओ की आत्महत्या। पूरे देश में अब तक कुल 33। अगर एक कथित ‘घुसपैठिया’ स्वीकार्य नहीं है, तो क्या 33 बीएलओ की मौतें स्वीकार्य हैं?” उनके इस बयान ने चुनावी प्रक्रिया और सरकारी नीतियों को लेकर नई बहस छेड़ दी है।

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गौरतलब है कि पिछले महीने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सरकार देश से घुसपैठियों को बाहर निकालेगी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि कुछ राजनीतिक दल SIR अभियान का विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वे चाहते हैं कि घुसपैठियों के नाम मतदाता सूची में बने रहें।

बीएलओ की ताजा मौत पश्चिम बंगाल के रानीबंध ब्लॉक में हुई, जहां रविवार (28 दिसंबर, 2025) की सुबह हराधन मंडल का शव एक स्कूल परिसर से बरामद किया गया। पुलिस के अनुसार, मौके से एक सुसाइड नोट मिला है।

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि हराधन मंडल एक स्कूल शिक्षक थे और रानीबंध ब्लॉक के राजकाटा क्षेत्र के बूथ संख्या 206 के बीएलओ के रूप में कार्यरत थे। सुसाइड नोट में उन्होंने कथित तौर पर बीएलओ के रूप में काम के दबाव को झेल पाने में असमर्थता जताई है।

बीएलओ स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन अभियान में अहम भूमिका निभाते हैं। चुनाव आयोग ने पहले चरण में बिहार में यह प्रक्रिया पूरी की थी और दूसरे चरण में 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में यह अभियान जारी है।

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