×
 

कर्नाटक में बहुत सारे छात्र, कम शिक्षक: शिक्षण गुणवत्ता पर असर

कर्नाटक की सरकारी शिक्षा संस्थाओं में 85,495 शिक्षक पद खाली हैं। अतिथि शिक्षकों से इसे भरा जा रहा है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।

कर्नाटक में सरकारी शिक्षा संस्थानों में शिक्षक कमी एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। राज्य में कुल 85,495 शिक्षण पद खाली हैं, जिनकी जगह अतिथि शिक्षकों के माध्यम से भरी जा रही है। यह स्थिति विशेष रूप से गुणवत्ता और व्यक्तिगत ध्यान की दृष्टि से चिंताजनक है।

टीचर्स डे के मौके पर, विश्लेषक जयनथ आर. ने इस मुद्दे पर प्रकाश डाला कि शिक्षक संख्या में कमी सीधे शिक्षा की गुणवत्ता और छात्रों की सीखने की क्षमता को प्रभावित करती है। अधिक छात्रों और कम शिक्षकों के कारण, कक्षाओं में छात्रों को पर्याप्त मार्गदर्शन और व्यक्तिगत ध्यान नहीं मिल पाता।

अतिथि शिक्षकों की भर्ती एक अस्थायी समाधान है, लेकिन यह दीर्घकालिक समाधान नहीं माना जा सकता। अतिथि शिक्षक अक्सर अस्थायी होते हैं और उन्हें संस्थागत नीतियों या पाठ्यक्रम की गहराई से परिचित होने का पर्याप्त समय नहीं मिलता। इसके परिणामस्वरूप, शिक्षा का स्तर प्रभावित होता है और छात्रों का सीखने का अनुभव अधूरा रह जाता है।

और पढ़ें: तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय में पेरियार का पोर्ट्रेट अनावरण किया

विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति राज्य की शिक्षा प्रणाली में असमानता और गुणवत्ता में गिरावट को बढ़ावा दे सकती है। छात्रों की तैयारी और प्रतियोगी परीक्षाओं में उनकी सफलता पर भी इसका असर पड़ता है।

कर्नाटक सरकार को अब तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि खाली पदों को स्थायी नियुक्तियों के माध्यम से भरा जा सके। इसके अलावा, शिक्षकों के प्रशिक्षण और समर्थन पर जोर देना भी आवश्यक है ताकि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सके।

कुल मिलाकर, कर्नाटक में शिक्षक कमी न केवल वर्तमान शिक्षा व्यवस्था के लिए चुनौती है, बल्कि यह आने वाले समय में छात्रों और राज्य के शैक्षिक भविष्य पर दीर्घकालिक असर डाल सकती है।

और पढ़ें: SEBI ने जेन स्ट्रीट जांच को तेज किया, अपर्याप्त डेटा और लगातार शिकायतों के कारण

 
 
 
Gallery Gallery Videos Videos Share on WhatsApp Share