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कर्नाटक में मतदाता धोखाधड़ी की जांच अटकी, चुनाव आयोग से तकनीकी डेटा नहीं मिला

कर्नाटक में 5,994 मतदाताओं के नाम फर्जी फॉर्म-7 से हटाने की साजिश की जांच तकनीकी डेटा न मिलने से अटकी। शिकायतें अलंद तहसीलदार के पास दर्ज।

कर्नाटक में मतदाता धोखाधड़ी की जांच इस समय ठहराव पर आ गई है क्योंकि भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने अब तक जांच एजेंसियों को जरूरी तकनीकी डेटा साझा नहीं किया है। यह मामला 2023 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कलबुर्गी जिले की अलंद विधानसभा सीट से जुड़ा है।

राज्य की अपराध जांच विभाग (CID) ने पाया था कि करीब 5,994 मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाने की संगठित कोशिश की गई थी। इसके लिए फर्जी तरीके से फॉर्म-7 तैयार कर दाखिल किए गए थे। फॉर्म-7 का इस्तेमाल आमतौर पर तब किया जाता है जब किसी मतदाता का नाम सूची से हटाने के लिए आवेदन किया जाता है।

कई मतदाताओं ने शिकायत की थी कि उनके नाम हटाने के लिए उनकी सहमति या जानकारी के बिना आवेदन किया गया। वहीं, कुछ मामलों में मतदाताओं की पहचान संबंधी जानकारियों का दुरुपयोग कर आवेदन जमा किए गए। इन शिकायतों के आधार पर अलंद तहसीलदार के पास बड़ी संख्या में आपत्तियां दर्ज कराई गई थीं।

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CID ने जांच आगे बढ़ाने के लिए निर्वाचन आयोग से उन तकनीकी विवरणों और डिजिटल साक्ष्यों की मांग की है, जिनसे यह स्पष्ट हो सके कि फॉर्म-7 किसके द्वारा और किस सिस्टम से भरे गए थे। लेकिन अब तक ये जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है, जिससे जांच अधर में लटकी हुई है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह मामला पूरी तरह से उजागर होता है, तो यह चुनावी पारदर्शिता और मतदाता सूचियों की विश्वसनीयता को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर सकता है। फिलहाल, जांच एजेंसियां चुनाव आयोग से आवश्यक सहयोग की प्रतीक्षा कर रही हैं।

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