करूर भगदड़ मामला: सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित परिजन को सीबीआई से संपर्क करने का निर्देश दिया
करूर भगदड़ पीड़ित के परिजन ने पुलिस दबाव की शिकायत की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जांच पहले से सीबीआई को सौंपी गई है, इसलिए पीड़ित परिवार सीबीआई से संपर्क करे।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (30 अक्टूबर 2025) को करूर भगदड़ मामले के एक पीड़ित के परिजन एस. प्रभाकरण को निर्देश दिया कि वे अपनी शिकायत केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) के पास दर्ज करें। प्रभाकरण ने कोर्ट में तमिलनाडु पुलिस अधिकारियों और राजनीतिक सचिवों द्वारा दबाव डालकर याचिका वापस लेने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया था।
न्यायमूर्ति जे. के. महेश्वरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने प्रभाकरण, जिनकी ओर से अधिवक्ता बालाजी श्रीनिवासन ने पेशी की, से कहा कि इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले ही सीबीआई को सौंपी जा चुकी है, इसलिए उन्हें सीधे जांच एजेंसी से संपर्क करना चाहिए।
कोर्ट में मौखिक रूप से उल्लेख करते हुए प्रभाकरण ने कहा कि पुलिस और कुछ राजनीतिक प्रभावशाली लोग पीड़ित परिवारों पर याचिकाएं वापस लेने के लिए दबाव डाल रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कई पीड़ित परिवार अब डर के माहौल में हैं और न्याय पाने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि चूंकि मामला पहले से ही सीबीआई के पास है, इसलिए सभी शिकायतें और सबूत सीबीआई को प्रस्तुत किए जाएं, जिससे निष्पक्ष जांच सुनिश्चित की जा सके।
करूर भगदड़ की यह घटना तमिलनाडु के करूर जिले में हुई थी, जिसमें कई लोगों की मौत और दर्जनों घायल हुए थे। घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट ने राज्य पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए मामले को सीबीआई को सौंपा था।
कोर्ट ने कहा कि न्याय की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार का दबाव या हस्तक्षेप अस्वीकार्य है और सीबीआई को इस संबंध में सभी आरोपों की स्वतंत्र जांच करनी चाहिए।
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