लिंगायत धर्म को अलग दर्जा देने के प्रयास के बीच, कर्नाटक भाजपा ने हिन्दू समुदाय में विभाजन का लगाया आरोप
कर्नाटक भाजपा ने लिंगायत धर्म को अलग दर्जा देने की पहल के बीच हिन्दू समुदाय में विभाजन का आरोप लगाया। सर्वे के डेटा को भावनाओं आकलन में इस्तेमाल करने की अफवाहें हैं।
कर्नाटक में लिंगायत धर्म को अलग धार्मिक दर्जा देने की मांग को लेकर नई बहस छिड़ गई है। इसी बीच, कर्नाटक भाजपा ने इस कदम पर चिंता व्यक्त करते हुए आरोप लगाया है कि यह प्रयास हिन्दू समुदाय में विभाजन पैदा करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। भाजपा नेताओं का कहना है कि लिंगायत धर्म को अलग पहचान देने की मांग राजनीतिक और सामाजिक रूप से संवेदनशील मुद्दा है और इसे सावधानीपूर्वक संभालना चाहिए।
विशेषज्ञों और मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, राज्य में चल रहे सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सर्वेक्षण (Socioeconomic and Educational Survey) के दौरान जो डेटा एकत्र किया जा रहा है, उसे लिंगायत समुदाय की अलग धर्म की मांग के प्रति भावनाओं का आकलन करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इस बात की अफवाहें हैं कि सर्वेक्षण के आंकड़े राजनीतिक नीतियों और निर्णयों में मार्गदर्शन करने के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं।
भाजपा नेताओं ने कहा कि लिंगायत समुदाय को सम्मान और उचित प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए, लेकिन हिन्दू समुदाय के व्यापक सामाजिक ताने-बाने को भंग करने का कोई भी प्रयास गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने मांग की है कि राज्य सरकार इस मामले में पारदर्शिता बनाए और सभी समुदायों की भावनाओं का सम्मान करें।
और पढ़ें: सिद्धारमैया ने कर्नाटक जाति जनगणना का किया बचाव, भाजपा के विरोध को बताया राजनीतिक
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि लिंगायत धर्म को अलग दर्जा देने की मांग लंबे समय से चल रही है और इसे लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया भिन्न रही है। इस मुद्दे पर फैसला न केवल राजनीतिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक और धार्मिक संतुलन के लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
इस बीच, सर्वेक्षण और इसके परिणामों को लेकर बहस लगातार जारी है, और यह स्पष्ट नहीं है कि अगली कार्रवाई में सरकार किस दिशा में कदम उठाएगी।
और पढ़ें: हिंदू समुदाय पर टिप्पणी से विवादों में घिरे कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया