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लोकसभा ने बीमा क्षेत्र में 100% एफडीआई बढ़ाने वाला संशोधन विधेयक किया पारित

लोकसभा ने बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा 100% करने वाला विधेयक पारित किया। सरकार का कहना है कि इससे बीमा पहुंच बढ़ेगी, प्रतिस्पर्धा तेज होगी और नियामक व्यवस्था मजबूत बनेगी।

लोकसभा ने मंगलवार को बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा को 100 प्रतिशत तक बढ़ाने से संबंधित संशोधन विधेयक पारित कर दिया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस सुधार से देश में बीमा कवरेज बढ़ेगा, क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहन मिलेगा और उपभोक्ताओं तक बीमा सेवाओं की पहुंच आसान होगी।

विधेयक पर मतदान से पहले लोकसभा में चर्चा के दौरान वित्त मंत्री ने कहा कि बीमा क्षेत्र में प्रस्तावित सुधारों से अधिक लोगों को बीमा सुरक्षा मिलेगी, नए खिलाड़ी बाजार में आएंगे और नियामक ढांचा और अधिक मजबूत होगा। उन्होंने भरोसा दिलाया कि इन बदलावों से पॉलिसीधारकों के हितों की बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।

इस विधेयक का आधिकारिक नाम सबका बीमा सबकी रक्षा (बीमा कानून संशोधन) विधेयक, 2025’ है। इसके तहत बीमा अधिनियम, 1938, भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) अधिनियम, 1956 और बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण अधिनियम (आईआरडीएआई), 1999 में संशोधन किया जाएगा।

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हालांकि विधेयक में बीमा क्षेत्र में एफडीआई को 100 प्रतिशत तक बढ़ाने की अनुमति दी गई है, लेकिन इसमें यह स्पष्ट किया गया है कि किसी भी बीमा कंपनी के शीर्ष अधिकारियों—जैसे चेयरमैन, प्रबंध निदेशक या मुख्य कार्यकारी अधिकारी—में से कम से कम एक भारतीय नागरिक होना अनिवार्य होगा।

विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के अनुसार, इसका मकसद बीमा क्षेत्र की तेज़ वृद्धि और विकास सुनिश्चित करना, पॉलिसीधारकों की सुरक्षा को मजबूत करना और निवेश के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करना है। इसके साथ ही यह कानून बीमा कंपनियों, बिचौलियों और अन्य हितधारकों के लिए कारोबार को आसान बनाएगा, नियम निर्माण में पारदर्शिता लाएगा और नियामक निगरानी को सशक्त करेगा।

वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि बीमा कारोबार से जुड़ी संस्थाओं के नाम में ‘इंश्योरेंस’ या ‘अश्योरेंस’ शब्द का इस्तेमाल अनिवार्य होगा और बिना इन शब्दों के कोई भी संस्था बीमा कारोबार नहीं कर सकेगी।

इसके अलावा, प्रस्तावित कानून के तहत नियामकीय दंडों को तर्कसंगत बनाया गया है। अधिकतम जुर्माने की सीमा बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव है और यह प्रावधान अब बीमा मध्यस्थों पर भी लागू होगा।

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