चेन्नई सफाईकर्मी प्रदर्शन: पुलिस अत्याचार की जांच आयोग पर मद्रास हाई कोर्ट ने लगाई रोक
मद्रास हाई कोर्ट ने चेन्नई सफाईकर्मी प्रदर्शन में पुलिस अत्याचार की जांच हेतु गठित एक सदस्यीय आयोग की नियुक्ति पर रोक लगाई। मामला अब आगे सुनवाई के लिए लंबित है।
मद्रास हाई कोर्ट ने चेन्नई में हुए सफाईकर्मियों के विरोध-प्रदर्शन के दौरान पुलिस की कथित ज्यादतियों की जांच के लिए गठित एक सदस्यीय आयोग की नियुक्ति पर फिलहाल रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति जे. निशा बानु और एस. सौंदर की पीठ ने यह आदेश चेन्नई पुलिस आयुक्त द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिया।
याचिका में कहा गया था कि निचली अदालत द्वारा एक सदस्यीय जांच आयोग की नियुक्ति आदेश उचित नहीं है और इससे पुलिस की कार्यप्रणाली पर अनुचित दबाव पड़ सकता है। अदालत ने इस दलील पर विचार करते हुए आयोग की नियुक्ति को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया है।
यह मामला तब शुरू हुआ जब चेन्नई नगर निगम के सफाईकर्मियों ने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान कथित रूप से पुलिस ने बल का प्रयोग किया, जिससे कई सफाईकर्मी घायल हो गए। इस घटना को लेकर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और संगठनों ने तीखी आलोचना की और स्वतंत्र जांच की मांग की।
और पढ़ें: मद्रास हाईकोर्ट में याचिका: जी. वेंकटरमन की तमिलनाडु के डीजीपी (प्रभारी) नियुक्ति को चुनौती
निचली अदालत ने इसी आलोचना और मांग को देखते हुए एक सदस्यीय आयोग गठित करने का आदेश दिया था। हालांकि, अब हाई कोर्ट के इस अंतरिम आदेश के बाद जांच की प्रक्रिया फिलहाल रोक दी गई है।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला केवल पुलिस की कार्रवाई तक सीमित नहीं है, बल्कि यह श्रमिक अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे संवैधानिक मुद्दों से भी जुड़ा हुआ है।
और पढ़ें: ठगे गए वरिष्ठ नागरिकों को मुआवज़ा दे तमिलनाडु सरकार: मद्रास हाईकोर्ट