महाराष्ट्र नगर निकाय चुनाव: दो पूर्व विधायकों के भाजपा में जाने से सासवड़ और भोर में कांग्रेस लगभग गायब
सासवड़ और भोर में दो पूर्व कांग्रेस विधायकों के भाजपा में जाने से कांग्रेस लगभग समाप्त हो गई है। भोर में 21 वार्डों में पार्टी केवल एक उम्मीदवार उतार सकी है।
महाराष्ट्र में चल रहे नगर निकाय चुनावों के बीच कांग्रेस की स्थिति कई क्षेत्रों में बेहद कमजोर हो गई है। खासकर पुणे ज़िले के सासवड़ और भोर नगर परिषदों में पार्टी का लगभग कोई अस्तित्व नहीं दिख रहा है। इसका मुख्य कारण है—कांग्रेस के दो प्रभावशाली नेताओं और पूर्व विधायकों संजय जगताप और संग्राम थोप्ते का भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होना।
पिछले वर्ष हुए विधानसभा और लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को पुणे ज़िले में भारी नुकसान उठाना पड़ा था। जिले की किसी भी विधानसभा सीट से पार्टी का एक भी उम्मीदवार विजय नहीं पा सका। यह परिणाम कांग्रेस के लिए बड़ा झटका था, क्योंकि यह ज़िला कभी उसका मजबूत गढ़ माना जाता था।
सासवड़ नगर परिषद में संजय जगताप के नेतृत्व के कारण कांग्रेस वर्षों तक अपनी राजनीतिक पकड़ बनाए रखने में सफल रही थी। इसी तरह भोर नगर परिषद में संग्राम थोप्ते के प्रभाव से कांग्रेस चुनावों में अपनी स्थिति को बनाए रखती थी। लेकिन अब दोनों नेताओं के भाजपा में चले जाने के बाद कांग्रेस का संगठन लगभग निष्क्रिय हो गया है।
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ताज़ा स्थिति यह है कि भोर नगर परिषद, जिसमें कुल 21 वार्ड हैं, वहां कांग्रेस केवल एक ही उम्मीदवार उतार पाई है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह पार्टी की जिले में कमजोर होती जड़ों का स्पष्ट संकेत है। भाजपा में दोनों नेताओं के शामिल होने से कांग्रेस के स्थानीय संगठन को बड़ा झटका लगा है, और इससे पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर गंभीर असर पड़ा है।
कांग्रेस की स्थानीय इकाई के कई कार्यकर्ताओं ने भी पार्टी छोड़ने या निष्क्रिय होने का रास्ता चुना है, जिससे नगर निकाय चुनावों में कांग्रेस की उपस्थिति अत्यंत सीमित हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि संगठनात्मक ढांचे को पुनर्जीवित नहीं किया गया, तो कांग्रेस भविष्य में भी ऐसे चुनावों में प्रभावी उपस्थिति दर्ज नहीं करा पाएगी।