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महाराष्ट्र की नगर निगम चुनावी लड़ाई: क्या भाजपा अपनी पकड़ बनाए रख पाएगी?

महाराष्ट्र में नगर निगम चुनावों में भाजपा की पिछली जीत को ध्यान में रखते हुए, राजनीतिक गठबंधनों और नए राजनीतिक निर्माणों के बीच आगामी चुनावों में उसकी पकड़ पर सवाल खड़ा हो गया है।

महाराष्ट्र में इस साल होने वाले नए नगर निगम चुनावों की घोषणा सोमवार को राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा की गई। इस चुनावी प्रक्रिया में 2017 के नगर निगम चुनावों का छाया प्रभाव आज भी राजनीतिक मैदान पर देखा जा सकता है। पिछली बार जिन निगमों में चुनाव हुए थे, उनमें भाजपा ने सबसे मजबूत स्थिति बनाई थी, जबकि शिवसेना ने मुंबई में अपनी पकड़ बनाए रखी और कांग्रेस व एनसीपी प्रमुख शहरों में कमजोर हुई।

आठ साल बाद, जब गठबंधन टूट चुके हैं, पार्टियां विभाजित हो चुकी हैं और नई राजनीतिक संरचनाएं उभर रही हैं, मुंबई, नासिक और पुणे जैसे महत्वपूर्ण निगमों के पिछले चुनाव यह समझने में मदद करेंगे कि आगामी चुनावों में क्या दांव पर है।

पिछली नगर निगम चुनावों में महाराष्ट्र में कुल 27 निगम थे, जो अब 29 हो गए हैं। इसमें जलना और इचलकरंजी के निगम शामिल किए गए हैं। भाजपा की पिछली जीत ने राज्य में शहरी राजनीति का परिदृश्य बदल दिया था, लेकिन अब गठबंधन टूटने, नई पार्टियों की उपस्थिति और चुनावी रणनीतियों के बदलते समीकरण ने राजनीतिक परिदृश्य को चुनौतीपूर्ण बना दिया है।

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राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार चुनाव केवल पार्टी की ताकत का परीक्षण नहीं होंगे, बल्कि यह देखने का मौका भी होगा कि नई राजनीतिक वास्तविकताएं और गठबंधन किस हद तक चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं।

इस चुनावी लड़ाई में भाजपा के लिए यह चुनौती होगी कि वह अपनी पिछली पकड़ को बनाए रखे, जबकि विपक्षी दलों के लिए यह मौका है कि वे कमजोरियों का फायदा उठाकर अपनी स्थिति मजबूत करें।

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