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मराठा आरक्षण: याचिकाकर्ता ने सरकारी प्रस्ताव को बताया पूरी तरह बेकार

मराठा आरक्षण आंदोलन के याचिकाकर्ता विनोद पाटिल ने सरकारी प्रस्ताव को बेकार बताया, कहा कि कुनबी वंश के प्रमाण पत्र के बिना किसी को कोई लाभ नहीं मिलेगा।

मराठा आरक्षण: याचिकाकर्ता ने सरकारी प्रस्ताव को बताया ‘पूरी तरह बेकार’

मराठा आरक्षण आंदोलन के याचिकाकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता विनोद पाटिल ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा हाल ही में जारी सरकारी प्रस्ताव (जीआर) को पूरी तरह बेकार करार दिया है। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव से मराठा समुदाय को कोई वास्तविक लाभ नहीं मिलने वाला।

विनोद पाटिल ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “सच्चाई यह है कि इस जीआर के आधार पर एक भी प्रमाण पत्र जारी नहीं होगा। मैंने समुदाय के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी है, और मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि जिनके पास कुनबी वंश का दस्तावेजी प्रमाण नहीं है, उन्हें कोई फायदा नहीं मिलेगा।”

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उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार केवल लोगों को बहलाने की कोशिश कर रही है और इस कदम से समुदाय की वास्तविक समस्याओं का समाधान नहीं होगा। पाटिल के अनुसार, आरक्षण लाभ पाने के लिए मराठा समुदाय के लोगों को कुनबी जाति से जुड़े वंशावली दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे, जो अधिकांश लोगों के पास उपलब्ध नहीं हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन को और तेज कर सकता है। सरकार ने हाल ही में एक प्रस्ताव जारी कर मराठा समुदाय को विशेष श्रेणी में प्रमाण पत्र देने की बात कही थी।

अब यह देखना होगा कि सरकार इस आलोचना का क्या जवाब देती है और क्या वह प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया को लेकर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करती है।

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