क्या मुझे बाहर कर दिया जाएगा?: SIR की चिंता के बीच CAA की ओर देख रहे मटुआ, भाजपा की बंगाल राजनीति में अहम
पश्चिम बंगाल में SIR प्रक्रिया को लेकर मटुआ समुदाय में चिंता बढ़ी है। नागरिकता और मतदाता सूची से नाम हटने के डर के बीच वे CAA की ओर उम्मीद से देख रहे हैं।
पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन – SIR) को लेकर मटुआ समुदाय में गहरी बेचैनी देखी जा रही है। मटुआ समुदाय, जो भाजपा की बंगाल की राजनीति में अहम भूमिका निभाता रहा है, अब बढ़ती अनिश्चितता के बीच नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) की ओर उम्मीद से देख रहा है।
उत्तर 24 परगना जिले के ठाकुरनगर स्थित ठाकुरबाड़ी में मटुआ मुख्यालय में बनाए गए एक सहायता केंद्र में प्लास्टिक की कुर्सी पर बैठे 75 वर्षीय मोतीलाल हालदार अपने कागजात हाथ में लिए पूछते हैं कि CAA के तहत नागरिकता मिलने में कितना समय लगेगा। हालदार बताते हैं कि वे 1997 में बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल आए थे। चूंकि उनका नाम 2002 की मतदाता सूची में नहीं है, इसलिए मौजूदा SIR प्रक्रिया ने उन्हें गहरी चिंता में डाल दिया है।
मोतीलाल हालदार अकेले नहीं हैं। उनके जैसे हजारों मटुआ, जो कोलकाता से लगभग 90 किलोमीटर दूर और बांग्लादेश सीमा के पास ठाकुरनगर और आसपास के इलाकों में रहते हैं, इस समय अनिश्चितता के दौर से गुजर रहे हैं। मतदाता सूची पुनरीक्षण के कारण उन्हें डर है कि कहीं उनके नाम सूची से हट न जाएं।
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इसी तरह, मुस्लिम समुदाय में भी चिंता बढ़ गई है। चुनाव आयोग द्वारा यह कहे जाने के बाद कि वह सीमावर्ती जिलों पर विशेष ध्यान देगा और गणना प्रपत्रों में “तार्किक विसंगतियों” का हवाला देगा, मुसलमान भी आशंकित हैं।
इस बीच, केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर के एक बयान ने तनाव और बढ़ा दिया है। उन्होंने संकेत दिया कि यदि SIR के दौरान 50 लाख मुसलमानों के नाम हटाए जाते हैं, तो उन्हें 1 लाख मटुआ नामों के हटने से कोई आपत्ति नहीं होगी।
The Indian Witness ने बांग्लादेश सीमा के पास बोंगांव से लेकर जेसोर रोड (एनएच-35) तक यात्रा कर मटुआ और मुस्लिम समुदाय के लोगों से बात की। दोनों ही समुदाय अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाने वाले हैं।
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