दक्षिण भारत में मेट्रो रेल विस्तार: तीन राज्यों में 250 किमी से अधिक नई लाइनें जल्द होंगी शुरू
दक्षिण भारत में मेट्रो नेटवर्क का विस्तार तेज हुआ है। तीन राज्यों में 250 किमी से अधिक नई लाइनें प्रस्तावित हैं, जिससे शहरी परिवहन, कनेक्टिविटी और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।
दक्षिण भारत में मेट्रो रेल नेटवर्क का तेजी से विस्तार किया जा रहा है। केंद्र सरकार के अनुसार, आने वाले समय में तीन दक्षिणी राज्यों में 250 किलोमीटर से अधिक लंबाई की नई मेट्रो रेल लाइनों का निर्माण किया जाएगा। इससे शहरी परिवहन को मजबूती मिलेगी और लाखों यात्रियों को तेज, सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल यात्रा का विकल्प उपलब्ध होगा।
वर्तमान में देश के 25 शहरों में लगभग 1,083 किलोमीटर लंबा मेट्रो रेल नेटवर्क संचालित हो रहा है, जिसमें क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) के कॉरिडोर भी शामिल हैं। यह नेटवर्क शहरी यातायात के दबाव को कम करने और प्रदूषण घटाने में अहम भूमिका निभा रहा है। दक्षिण भारत के कई बड़े शहरों में मेट्रो सेवाओं की बढ़ती मांग को देखते हुए नए प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी जा रही है।
आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) ने एक बयान में कहा कि मेट्रो रेल परियोजनाएं पूंजी-प्रधान होती हैं और इनके लिए विस्तृत मूल्यांकन की आवश्यकता होती है। सभी मेट्रो परियोजनाओं को मेट्रो रेल नीति, 2017 के तहत सख्त जांच और स्वीकृति प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, ताकि परियोजनाएं आर्थिक रूप से व्यवहार्य हों और यात्रियों को अधिकतम लाभ मिल सके।
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दक्षिण भारत में प्रस्तावित नई मेट्रो लाइनों से न केवल शहरों के भीतर आवागमन आसान होगा, बल्कि उपनगरों और आसपास के क्षेत्रों की कनेक्टिविटी भी बेहतर होगी। इससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और रियल एस्टेट, व्यापार व उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा।
सरकार का मानना है कि मेट्रो रेल नेटवर्क के विस्तार से निजी वाहनों पर निर्भरता घटेगी, ट्रैफिक जाम कम होगा और कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। आने वाले वर्षों में मेट्रो को शहरी विकास का प्रमुख आधार माना जा रहा है, जिससे स्मार्ट और टिकाऊ शहरों की परिकल्पना को साकार किया जा सकेगा।
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