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मोदी@75: शक्ति, संगठन और राजनीति की नई परिभाषा गढ़ने वाले प्रधानमंत्री

75 वर्ष की आयु में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ऐसे नेता के रूप में देखा जा रहा है, जिन्होंने सत्ता, संगठन और भारतीय राजनीति की दिशा को पूरी तरह से बदल दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब 75 वर्ष की आयु की ओर बढ़ रहे हैं, तब उन्हें न केवल देश के एक मजबूत प्रशासक के रूप में, बल्कि भारतीय राजनीति की संरचना बदलने वाले नेता के रूप में भी देखा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषक और भाजपा नेता विनय सहस्रबुद्धे का कहना है कि जैसे कभी राजनी कोठारी ने "कांग्रेस सिस्टम" की अवधारणा दी थी, आज उसी तरह "बीजेपी सिस्टम" की बात की जा सकती है। और यह बदलाव मोदी के नेतृत्व में संभव हुआ है।

मोदी ने शासन और संगठन—दोनों में कोई समझौता नहीं किया। एक ओर उन्होंने प्रशासनिक स्तर पर बड़े निर्णय लिए, तो दूसरी ओर पार्टी संगठन को मजबूत बनाते हुए उसे पूरे देश में जमीनी स्तर तक विस्तार दिया। उनके नेतृत्व में भाजपा न केवल केंद्र में, बल्कि कई राज्यों में भी मजबूत स्थिति में पहुँची।

उनकी राजनीति की विशेषता यह रही कि उन्होंने सत्ता को केवल शासन तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसे वैचारिक और संगठनात्मक स्तर पर भी गहराई दी। यही कारण है कि भाजपा अब एक "सिस्टम" के रूप में देखी जा रही है, जो केवल चुनाव जीतने तक सीमित नहीं, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों तक अपनी पकड़ बना चुकी है।

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विशेषज्ञ मानते हैं कि मोदी का कार्यकाल भारतीय राजनीति में स्थिरता और निर्णायक नेतृत्व का प्रतीक बन गया है। उनकी नीतियाँ और दृष्टिकोण न केवल भाजपा की ताकत को बढ़ाते हैं, बल्कि विपक्ष को भी लगातार चुनौती देते रहते हैं।

75 वर्ष की उम्र में मोदी का यह सफर बताता है कि उन्होंने भारतीय राजनीति को नई दिशा दी है—जहाँ पार्टी, सत्ता और समाज तीनों को एक साझा ढांचे में पिरो दिया गया है।

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