×
 

चंडीगढ़ की छाया से निकलकर महानगर बना मोहाली, बदली शहर की पहचान

मोहाली ने चंडीगढ़ की छाया से निकलकर अपनी स्वतंत्र पहचान बना ली है। बेहतर बुनियादी ढांचे, कनेक्टिविटी और उद्यमशीलता ने इसे एक उभरते महानगर में बदल दिया है।

कभी चंडीगढ़ का “सुस्त भाई” कहे जाने वाला मोहाली अब पूरी तरह अपनी अलग पहचान बना चुका है। वर्ष 2025 में मोहाली एक जीवंत स्काईलाइन, चौड़ी और आधुनिक सड़कों तथा तेजी से बदलते सामाजिक ताने-बाने के साथ एक उभरते महानगर के रूप में खड़ा है। अब यह शहर केवल चंडीगढ़ की नजदीकी के कारण नहीं, बल्कि अपने विकसित होते आर्थिक और सामाजिक पारिस्थितिकी तंत्र के लिए जाना जा रहा है।

कुछ दशक पहले तक मोहाली को गांवों और आवासीय कॉलोनियों का ऐसा समूह माना जाता था, जो मुख्य रूप से चंडीगढ़ से फैलाव के कारण विकसित हुआ। चंडीगढ़ की सख्त और अनुशासित शहरी नियोजन नीति ने उसे सीमित और सुव्यवस्थित रखा, जबकि मोहाली को उसके आसपास स्वतः विकसित होने का अवसर मिला। समय के साथ यही लचीलापन मोहाली की ताकत बन गया।

1960 के दशक में क्षेत्रीय विस्तार की योजना के तहत मोहाली की परिकल्पना की गई थी, लेकिन 1990 के दशक और 2000 के शुरुआती वर्षों में ही यह शहर वास्तव में चर्चा में आया। इस बदलाव में बुनियादी ढांचे की बड़ी भूमिका रही। शहीद भगत सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के संचालन से शहर की हवाई कनेक्टिविटी में जबरदस्त सुधार हुआ। इसके साथ ही एयरपोर्ट रोड और खरड़ कॉरिडोर जैसे नए सड़क संपर्कों ने आवागमन को आसान बनाया और विकास के लिए बड़े भू-भाग खोल दिए।

और पढ़ें: मोहाली में दिनदहाड़े हमले में 24 वर्षीय विशाल बहल घायल, पांच आरोपी गिरफ्तार

तेजी से बढ़ते आईटी पार्क, स्टार्टअप संस्कृति, शैक्षणिक संस्थानों और रियल एस्टेट परियोजनाओं ने मोहाली को युवा आबादी और उद्यमियों के लिए आकर्षक केंद्र बना दिया है। बढ़ती आबादी, विविध संस्कृति और व्यावसायिक गतिविधियों के चलते यह शहर अब अपनी सीमाओं तक फैलता दिख रहा है।

आज मोहाली केवल चंडीगढ़ का उपनगर नहीं, बल्कि पंजाब के सबसे तेज़ी से विकसित हो रहे शहरी केंद्रों में से एक है, जो आर्थिक अवसरों, आधुनिक जीवनशैली और महत्वाकांक्षाओं का नया प्रतीक बन चुका है।

और पढ़ें: तेलंगाना सरकार ने बनाया नया पुलिस आयुक्तालय, फ्यूचर सिटी परियोजना को मिली रफ्तार

 
 
 
Gallery Gallery Videos Videos Share on WhatsApp Share