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लंबी सुरंग परियोजनाओं में देरी पर सड़क परिवहन मंत्रालय ने जताई चिंता, कहा—डीपीआर में तकनीकी जांच की कमी

MoRTH ने सुरंग परियोजनाओं में देरी के लिए अधूरी डीपीआर को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि 1.5 किमी से लंबी सुरंगों के लिए पूर्व तकनीकी परामर्श अनिवार्य किया जाए।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने सोमवार (27 अक्टूबर, 2025) को कहा कि देश में 1.5 किलोमीटर से लंबी सुरंग परियोजनाएं लगातार देरी का सामना कर रही हैं, क्योंकि डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) बिना उचित तकनीकी जांच के प्रस्तुत की जा रही हैं। मंत्रालय ने कहा कि यदि इन परियोजनाओं की स्वीकृति प्रक्रिया को तेज करना है तो पूर्व परामर्श (prior consultation) आवश्यक है।

मंत्रालय ने यह भी जोड़ा कि किसी भी सुरंग परियोजना के सफल क्रियान्वयन के लिए भू-तकनीकी जांच (geo-technical investigation) अत्यंत आवश्यक है। बिना उचित सर्वेक्षण और स्थल जांच के बनाए गए डीपीआर से न केवल समय की बर्बादी होती है, बल्कि परियोजनाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा पर भी असर पड़ता है।

मंत्रालय द्वारा जारी पत्र में कहा गया है, “सुरंग प्रस्तावों की समीक्षा को तेज करने के लिए यह आवश्यक है कि जब किसी परियोजना में 1.5 किलोमीटर से अधिक लंबाई की सुरंग शामिल हो, तो फीजिबिलिटी या डीपीआर तैयार करने के चरण में ही मंत्रालय के टनल ज़ोन को सूचित किया जाए। इससे मंत्रालय आवश्यक जांच और मूल्यांकन के दिशानिर्देश अग्रिम रूप से कार्यकारी एजेंसी को बता सकेगा, जिससे समय की बचत होगी।”

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यह पत्र राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI), राज्य सरकारों के मुख्य सचिवों और अन्य संबंधित एजेंसियों को भेजा गया है। मंत्रालय का मानना है कि प्रारंभिक चरण में ही समुचित परामर्श और तकनीकी आकलन से न केवल देरी कम होगी बल्कि परियोजनाओं की दक्षता और लागत नियंत्रण भी सुनिश्चित होगा।

 

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