मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने आपराधिक मामलों की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग पर 15 सितंबर से अस्थायी रोक लगाई
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 15 सितंबर से आपराधिक मामलों की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग अस्थायी रूप से रोक दी। अदालत ने कहा, स्ट्रीमिंग का दुरुपयोग कर रील्स और मीम्स बनाए जा रहे हैं।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने आपराधिक मामलों की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग पर 15 सितंबर से अस्थायी रोक लगाने का निर्णय लिया है। अदालत का यह आदेश उस समय आया जब अधिवक्ता अरिहंत तिवारी ने दलील दी कि कोर्ट की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग का दुरुपयोग किया जा रहा है।
अधिवक्ता तिवारी ने हाई कोर्ट को बताया कि कई निजी संस्थाएँ और सोशल मीडिया उपयोगकर्ता अदालत की लाइव स्ट्रीमिंग से वीडियो क्लिप, रील्स और मीम्स बनाकर प्रसारित कर रहे हैं। इससे न केवल अदालत की गरिमा प्रभावित होती है, बल्कि मामलों से जुड़े पक्षकारों की गोपनीयता और न्याय प्रक्रिया की गंभीरता भी प्रभावित होती है।
अदालत ने दलील को गंभीरता से लेते हुए कहा कि न्यायपालिका की कार्यवाही का मज़ाक या व्यावसायिक लाभ के लिए इस्तेमाल करना न्याय प्रणाली के लिए हानिकारक है। इसी कारण आपराधिक मामलों की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग को फिलहाल रोक दिया गया है।
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हालाँकि, अदालत ने यह स्पष्ट किया कि यह रोक अस्थायी है और इस पर आगे की समीक्षा की जाएगी। यदि तकनीकी और कानूनी रूप से ऐसे प्रावधान किए जाते हैं जिससे स्ट्रीमिंग का दुरुपयोग न हो, तो भविष्य में इसे फिर से शुरू करने पर विचार किया जा सकता है।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला न्यायपालिका की गरिमा की रक्षा करने और सोशल मीडिया पर हो रहे अनुचित प्रयोग को रोकने के लिए आवश्यक कदम है।
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