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ताजमहल मंदिर था बयान पर मचा सियासी बवाल, कैलाश विजयवर्गीय के दावे पर विवाद

मध्य प्रदेश मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के ताजमहल को मंदिर बताने वाले बयान से राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है, जिस पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।

मध्य प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय के एक बयान ने राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने दावा किया कि ताजमहल मूल रूप से एक मंदिर था, जिसे बाद में मुगल सम्राट शाहजहां ने मकबरे में बदल दिया।

69 वर्षीय विजयवर्गीय ने यह टिप्पणी सागर जिले के बीना कस्बे में आयोजित एक क्रिकेट टूर्नामेंट के उद्घाटन के दौरान की। उन्होंने कहा कि मुमताज़ महल को पहले बुरहानपुर में दफनाया गया था और बाद में उनके पार्थिव शरीर को उस स्थान पर लाया गया, जहां एक मंदिर का निर्माण हो रहा था। इसके बाद उसी स्थान पर ताजमहल का निर्माण किया गया।

उनके इस बयान से कार्यक्रम में मौजूद लोगों के बीच हलचल मच गई। भाषण के वीडियो क्लिप तेजी से वायरल हो गए, जिसके बाद तीखी और ध्रुवीकृत प्रतिक्रियाएं सामने आईं। विजयवर्गीय के समर्थकों ने उनके बयान को ऐतिहासिक व्याख्याओं से जोड़ते हुए समर्थन किया, जबकि आलोचकों ने इसे भड़काऊ और भ्रामक बताया।

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इसी कार्यक्रम में विजयवर्गीय ने बिहार के लोगों को लेकर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि बिहार के व्यक्ति का विनम्र होना जरूरी नहीं है, लेकिन भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नवीन ने विनम्रता के साथ आगे बढ़कर सफलता हासिल की है। इस बयान पर भी मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं।

यह विवाद ऐसे समय सामने आया है, जब हाल ही में इंदौर में दो ऑस्ट्रेलियाई महिला क्रिकेटरों से कथित छेड़छाड़ के मामले पर दिए गए उनके बयान को लेकर भी उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ा था। उस समय उन्होंने कहा था कि खिलाड़ियों को “सबक सीखना चाहिए” और अपनी गतिविधियों की जानकारी स्थानीय प्रशासन को देनी चाहिए, जिसे आलोचकों ने पीड़ितों की सुरक्षा से ध्यान भटकाने वाला बताया।

कांग्रेस ने विजयवर्गीय के बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि भाजपा मंत्री लगातार “सीमाएं लांघ” रहे हैं और सार्वजनिक विमर्श में भ्रम फैला रहे हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कुछ नेताओं को अपना अलग इतिहास लिखकर दुनिया को भेज देना चाहिए।

विश्लेषकों का कहना है कि ताजमहल को लेकर इस तरह के दावे पहले भी सामने आते रहे हैं, लेकिन जब कोई मौजूदा मंत्री ऐसा बयान देता है, तो उसका राजनीतिक और सामाजिक असर कहीं अधिक हो जाता है।

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