मल्टी-एसेट फंड: विविध निवेश का एक विकल्प
मल्टी-एसेट फंड तीन परिसंपत्तियों—शेयर, बांड और कमोडिटी—में निवेश करते हैं। ये विविधता प्रदान करते हैं, लेकिन मुख्य पोर्टफोलियो में कमोडिटी के लिए सावधानी बरतना जरूरी है।
वर्तमान निवेश माहौल में म्यूचुअल फंड हाउस (AMC) की संख्या बढ़ने के साथ, निवेशकों को आकर्षित करने के लिए विभिन्न प्रकार के फंड पेश किए जा रहे हैं। खासकर इक्विटी फंडों में विविधता सीमित है, क्योंकि ये फंड आमतौर पर 500 प्रमुख शेयरों—लार्ज-कैप, मिड-कैप और स्मॉल-कैप—के दायरे में ही निवेश करते हैं। इसी कारण, हाल के वर्षों में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए मल्टी-एसेट फंड एक अलग विकल्प के रूप में उभरे हैं।
मल्टी-एसेट फंड ऐसे फंड होते हैं जो एक से अधिक परिसंपत्ति वर्गों में निवेश करते हैं। आमतौर पर ये फंड तीन प्रकार की एसेट क्लास में निवेश करते हैं—इक्विटी (शेयर), डेट (बांड) और कमोडिटीज (जैसे सोना और चांदी)। इस तरह का पोर्टफोलियो निवेशकों को जोखिम में संतुलन और बाजार अस्थिरता के दौरान सुरक्षा देने का प्रयास करता है।
हालांकि, यह ध्यान देना जरूरी है कि मुख्य पोर्टफोलियो में कमोडिटीज को अधिक प्राथमिकता देना विवेकपूर्ण नहीं हो सकता, क्योंकि उनका मूल्य उतार-चढ़ाव भरा होता है और लंबे समय में रिटर्न की अनिश्चितता बनी रहती है।
मल्टी-एसेट फंड उन निवेशकों के लिए उपयुक्त हो सकते हैं जो विविधता की तलाश में हैं और जो शेयर बाजार की अस्थिरता को संतुलित करना चाहते हैं। हालांकि, इन्हें अपने कोर पोर्टफोलियो में शामिल करने से पहले निवेशक को यह समझना चाहिए कि इनमें हर एसेट क्लास का योगदान अलग-अलग समय में कैसा प्रदर्शन कर सकता है।