यूके जेल की कागजी देरी से नीरव मोदी के बैंक ऑफ इंडिया मामले की सुनवाई टली
यूके जेल की कागजी देरी के कारण लंदन कोर्ट ने नीरव मोदी के बैंक ऑफ इंडिया ऋण मामले की सुनवाई मार्च 2026 तक टाल दी, जबकि उसका भारत प्रत्यर्पण मामला भी लंबित है।
भारत में धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में वांछित भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी को लंदन की एक अदालत से राहत मिली है। बैंक ऑफ इंडिया के एक अलग बकाया ऋण मामले में चल रही सुनवाई को यूके की जेल प्रशासनिक देरी के चलते मार्च 2026 तक के लिए टाल दिया गया है।
54 वर्षीय नीरव मोदी, जो करीब 2 अरब डॉलर के पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले में भारत प्रत्यर्पण का सामना कर रहा है, को अक्टूबर में दक्षिण लंदन की थेम्ससाइड जेल से उत्तरी लंदन की एचएमपी पेंटनविल जेल में स्थानांतरित किया गया था, ताकि वह हाई कोर्ट में पेश हो सके।
शुक्रवार (20 दिसंबर 2025) को 80 लाख डॉलर के बैंक ऑफ इंडिया ऋण मामले की ऑनलाइन समीक्षा सुनवाई में जज साइमन टिंकलर ने जनवरी में प्रस्तावित आठ दिन की सुनवाई को स्थगित कर 23 मार्च 2026 से शुरू करने की अनुमति दी। यह फैसला यूके जेल अधिकारियों द्वारा अहम कानूनी दस्तावेजों तक समय पर पहुंच न दिला पाने के कारण लिया गया।
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जज टिंकलर ने कहा कि यदि जरूरी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए, तो निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं होगी। हालांकि उन्होंने अक्टूबर तक सुनवाई टालने से इनकार कर दिया।
नीरव मोदी की ओर से पेश बैरिस्टर जेम्स किनमैन ने दलील दी कि सुनवाई टलना जरूरी है, अन्यथा उनके मुवक्किल को गंभीर नुकसान होगा। उन्होंने यह भी दावा किया कि नीरव मोदी के प्रत्यर्पण को रोकने से जुड़ी एक “गोपनीय प्रक्रिया” है, जिसके कारण अक्टूबर 2026 से पहले उसके भारत भेजे जाने की संभावना नहीं है।
वहीं बैंक ऑफ इंडिया की ओर से बैरिस्टर टॉम बीस्ली ने लंबी देरी का विरोध करते हुए कहा कि यदि नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पित कर दिया गया, तो यूके में मुकदमा चलाना मुश्किल हो जाएगा।
नीरव मोदी मार्च 2019 से लंदन की जेल में बंद है। भारत में उसके खिलाफ सीबीआई का पीएनबी धोखाधड़ी मामला, ईडी का मनी लॉन्ड्रिंग केस और साक्ष्यों से छेड़छाड़ से जुड़े मामले लंबित हैं।
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