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मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाना निंदनीय: हरीश राव

बीआरएस नेता हरीश राव ने मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाने और 60:40 फंडिंग नियम को निंदनीय बताते हुए कहा कि इससे राज्यों पर बोझ बढ़ेगा।

भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री टी. हरीश राव ने ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाने और उसका नाम बदलकर ‘विकसित भारत—गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)’ (VB-G RAM G) किए जाने पर केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इस कदम को अत्यंत आपत्तिजनक और निंदनीय बताया।

हरीश राव ने कहा कि महात्मा गांधी का नाम केवल एक व्यक्ति का नाम नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत के अधिकार, आत्मसम्मान और सामाजिक न्याय का प्रतीक है। इस योजना से उनका नाम हटाना राष्ट्रपिता के योगदान का अपमान है और इससे योजना की मूल भावना को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है।

उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार रोजगार गारंटी योजना को धीरे-धीरे कमजोर करने की दिशा में कदम उठा रही है। राव ने कहा कि योजना के नाम परिवर्तन के साथ-साथ 60:40 के नए फंडिंग फॉर्मूले को लागू करना राज्यों पर भारी वित्तीय बोझ डाल रहा है। इस व्यवस्था के तहत राज्यों को पहले की तुलना में अधिक धनराशि वहन करनी पड़ रही है, जिससे गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

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बीआरएस नेता ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर आरोप लगाया कि वह राज्यों के अधिकारों की अनदेखी कर रही है और सामाजिक कल्याण योजनाओं को कमजोर करने की नीति अपना रही है। उन्होंने कहा कि मनरेगा जैसी योजना ने करोड़ों ग्रामीण परिवारों को आजीविका का सहारा दिया है और कठिन समय में रोजगार उपलब्ध कराया है।

हरीश राव ने मांग की कि केंद्र सरकार योजना के मूल स्वरूप से छेड़छाड़ बंद करे, महात्मा गांधी का नाम बहाल करे और राज्यों पर डाले जा रहे अतिरिक्त वित्तीय बोझ को कम करे। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस तरह के फैसले वापस नहीं लिए गए तो राज्यों और विपक्षी दलों की ओर से इसका कड़ा विरोध किया जाएगा।

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