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पुरी रथयात्रा भगदड़ मामला: ओडिशा सरकार ने सात पुलिस अधिकारियों और एक निजी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए

पुरी रथयात्रा भगदड़ मामले में ओडिशा सरकार ने सात पुलिस अधिकारियों और एक निजी कंपनी के खिलाफ जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई के आदेश जारी किए हैं।

ओडिशा सरकार ने पुरी में हुई भगदड़ की घटना में लापरवाही बरतने के आरोप में सात पुलिस अधिकारियों और एक निजी तकनीकी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं। इस हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई थी और 20 अन्य घायल हुए थे।

गृह विभाग की अतिरिक्त सचिव ने हाल ही में पुलिस महानिदेशक (DGP) को लिखे पत्र में कहा कि कार्रवाई विकास आयुक्त सह अतिरिक्त मुख्य सचिव अनु गर्ग की जांच रिपोर्ट की सिफारिशों के अनुसार की जानी चाहिए। यह हादसा 29 जून 2025 को पुरी के श्री गुंडीचा मंदिर के पास रथ यात्रा के दौरान हुआ था, जब दो ट्रक धार्मिक अनुष्ठान के लिए लकड़ी लेकर पहुंचे और भीड़ में भगदड़ मच गई।

अनु गर्ग ने 31 जुलाई को मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट में पाया गया कि भीड़ नियंत्रण की जिम्मेदारी संभालने वाले दो वरिष्ठ अधिकारी — अजय कुमार पाधी (कमांडेंट, ओएसएपी 3rd बटालियन, कोरापुट) और विष्णु प्रसाद पाटी (डीसीपी, भुवनेश्वर-कटक) — घटना के समय मौके पर मौजूद नहीं थे। जांच में दोनों की लापरवाही और कर्तव्यहीनता की पुष्टि हुई है।

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गृह विभाग ने कहा कि दोनों अधिकारी पहले ही निलंबित किए जा चुके हैं और अब उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए।
रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि पुरी में स्थापित AI आधारित निगरानी प्रणाली (ICCC) में गंभीर खामियां थीं। कुल 275 स्वीकृत कैमरों में से केवल 123 कैमरे काम कर रहे थे, जिससे कई महत्वपूर्ण क्षेत्र बिना निगरानी के रह गए।

जांच रिपोर्ट ने ICCC विक्रेता कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने और एक अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है।
घटना के तुरंत बाद मुख्यमंत्री ने पुरी के तत्कालीन कलेक्टर सिद्धार्थ शंकर स्वाइन और एसपी वी. अग्रवाल का तबादला कर दिया था।

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