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जोखिम कम करने के लिए विशेषज्ञों से परामर्श ज़रूरी: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हिमालयी आपदाओं के बढ़ते खतरे पर विशेषज्ञों से परामर्श और ठोस रणनीति की आवश्यकता बताई, ताकि ग्लेशियल झील फटने व क्लाउडबर्स्ट जोखिम कम किए जा सकें।

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि हिमालयी क्षेत्र में हालिया आपदाओं को देखते हुए जोखिम कम करने के लिए विशेषज्ञों से परामर्श लेना बेहद ज़रूरी हो गया है। किश्तवाड़ ज़िले के इस दूरदराज़ बादल फटने से प्रभावित गांव चिसोटी के दौरे से लौटते समय पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि पूरा हिमालयी इलाका अब ग्लेशियल झील फटने (Glacial Lake Burst) और क्लाउडबर्स्ट जैसी घटनाओं के लिए पहले से अधिक संवेदनशील हो गया है।

उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के असर से पर्वतीय क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ रहा है और इस पर समय रहते ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि विशेषज्ञों से परामर्श, वैज्ञानिक अध्ययन और आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर ही इन जोखिमों को कम किया जा सकता है।

अब्दुल्ला ने कहा कि सरकार प्रभावित इलाकों में राहत और पुनर्वास कार्यों को तेज़ी से अंजाम दे रही है, लेकिन स्थायी समाधान के लिए दीर्घकालिक रणनीति बनानी होगी। इसमें न केवल आपदा प्रबंधन बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय समुदायों की भागीदारी भी अहम होगी।

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उन्होंने यह भी संकेत दिया कि राज्य सरकार केंद्र के साथ मिलकर एक व्यापक योजना तैयार करेगी, जिससे हिमालयी क्षेत्रों की संवेदनशीलता का आकलन किया जा सके और समय पर चेतावनी प्रणालियाँ विकसित की जा सकें।

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