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आरक्षण नीति के विरोध में श्रीनगर धरना रद्द, नेताओं के नजरबंद होने का आरोप

ओपन मेरिट छात्रों ने आरक्षण नीति के विरोध में श्रीनगर धरना रद्द किया, नेताओं की नजरबंदी और छात्र हिरासत के आरोपों के बीच शांति बनाए रखने की अपील की गई।

जम्मू-कश्मीर में ओपन मेरिट श्रेणी के छात्रों ने कथित “अन्यायपूर्ण आरक्षण नीति” के खिलाफ श्रीनगर में प्रस्तावित धरना-प्रदर्शन को रविवार (28 दिसंबर 2025) को रद्द कर दिया। यह फैसला उस समय लिया गया जब कई राजनीतिक नेताओं और छात्र प्रतिनिधियों के हिरासत में लिए जाने या नजरबंद किए जाने के आरोप सामने आए।

ओपन मेरिट स्टूडेंट्स एसोसिएशन जम्मू-कश्मीर के प्रवक्ता ने The Indian Witness पर पोस्ट कर धरना रद्द करने की घोषणा की। उन्होंने कहा, “अनियंत्रित परिस्थितियों के कारण आज का धरना-सह-मुलाकात कार्यक्रम रद्द किया जाता है। सभी छात्रों से शांति बनाए रखने की अपील है। छात्र सुरक्षित रूप से अपने हॉस्टल, लाइब्रेरी या घर लौट जाएं।” उन्होंने यह भी कहा कि किसी छात्र की कोई गलती नहीं है और घबराने की आवश्यकता नहीं है।

एक छात्र नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि शनिवार शाम से ही कई छात्र कार्यकर्ताओं को एहतियातन हिरासत में लिया गया या किसी भी प्रकार का प्रदर्शन न करने के निर्देश दिए गए। उन्होंने कहा कि श्रीनगर के पोलो व्यू इलाके में धरना स्थल को सुरक्षा बलों ने कंटीले तारों से घेर दिया।

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इस बीच, नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद आगा सैयद रूहुल्लाह, पीडीपी विधायक वहीद-उर-रहमान पर्रा और पीडीपी नेता इल्तिजा मुफ्ती ने आरोप लगाया कि उन्हें छात्रों के समर्थन में शामिल होने से रोकने के लिए घरों में नजरबंद किया गया। रूहुल्लाह के एक सहयोगी ने कहा कि पुलिस ने आधिकारिक रूप से उन्हें घर से बाहर न निकलने का आदेश दिया है और छात्रों की गिरफ्तारी तथा उनके परिवारों को डराने की शिकायतें भी मिली हैं।

पीडीपी प्रवक्ता ने विधायक पर्रा की नजरबंदी को “असहमति को दबाने की राज्य की खुली कार्रवाई” बताया। वहीं, इल्तिजा मुफ्ती ने अपने आवास पर तैनात महिला पुलिसकर्मियों की तस्वीर साझा करते हुए इसे ‘नया कश्मीर’ की सामान्य स्थिति करार दिया।

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में ओपन मेरिट छात्रों के विरोध लगातार बढ़ रहे हैं। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अक्टूबर 2024 में सत्ता संभालने के बाद ओपन मेरिट कोटा 50 प्रतिशत करने के लिए तीन सदस्यीय कैबिनेट उप-समिति गठित की थी। प्रस्ताव लोक भवन को भेजा जा चुका है, लेकिन इसे सार्वजनिक करने की मांग तेज होती जा रही है।

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