"जल्दबाज़ी क्यों? सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक इंतज़ार करना चाहिए था: मतदाता सूची संशोधन पर विपक्ष ने उठाए सवाल"
चुनाव आयोग द्वारा देशभर में विशेष मतदाता सूची संशोधन की प्रक्रिया शुरू करने के फैसले पर विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय तक रुकने और परामर्श न करने पर आपत्ति जताई।
नई दिल्ली, 14 जुलाई:
चुनाव आयोग (EC) द्वारा देशभर में बिहार जैसी विशेष व्यापक मतदाता सूची संशोधन (Special Intensive Revision - SIR) की तैयारी शुरू करने के निर्देश पर विपक्षी दलों ने कड़ा ऐतराज जताया है। विपक्ष ने सवाल उठाया है कि जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, तो आयोग ने इतनी जल्दबाज़ी क्यों की और राजनीतिक दलों से कोई परामर्श क्यों नहीं किया।
रिपोर्ट के अनुसार, 5 जुलाई को, बिहार में SIR के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर होने के एक दिन बाद ही, चुनाव आयोग ने सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को SIR की तैयारी शुरू करने का निर्देश दिया था। इस बार पात्रता तिथि 1 जनवरी 2026 निर्धारित की गई है, यानी इस तारीख तक 18 वर्ष के होने वाले सभी युवाओं को सूची में शामिल किया जाएगा।
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वाम दलों सहित विपक्षी नेताओं ने रविवार को कहा कि चुनाव आयोग को पहले सुप्रीम कोर्ट का अंतिम निर्णय आने तक इंतज़ार करना चाहिए था।
सुप्रीम कोर्ट ने बीते गुरुवार को बिहार में SIR को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए आयोग को प्रक्रिया से नहीं रोका, लेकिन सुझाव दिया कि आधार कार्ड, वोटर ID और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों पर भी विचार किया जाए। कोर्ट ने आयोग से 21 जुलाई तक जवाब मांगा है और 28 जुलाई को अगली सुनवाई तय की है।
विपक्ष का आरोप है कि चुनाव आयोग ने पारदर्शिता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को दरकिनार कर यह कदम उठाया है।