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संसद शीतकालीन सत्र का पहला दिन: विपक्ष की न्यायपूर्ण व्यवहार की मांग, लोकसभा स्थगित

संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत में सरकार ने तीन विधेयक पेश किए, जबकि विपक्ष ने निष्पक्षता की मांग की। 15 दिन के इस छोटे सत्र में कई अहम मुद्दों पर बहस की उम्मीद है।

संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर 2025 से शुरू हुआ, जिसमें सरकार अपने सुधार एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण विधेयक पेश करने जा रही है। सत्र की शुरुआत से ही संसद में हलचल रही, जहां विपक्षी सांसदों ने नए राज्यसभा सभापति और उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन से सदस्यों के साथ निष्पक्ष व्यवहार सुनिश्चित करने की अपील की।

लोकसभा की कार्यवाही सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा जीएसटी, स्वास्थ्य सुरक्षा और उत्पाद शुल्क से संबंधित तीन महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए जाने के बाद दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। सरकार इस सत्र में नागरिक परमाणु क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलने वाले कानून लाने की तैयारी में भी है, जिसे लेकर राजनीतिक हलकों में गहन चर्चा जारी है।

विपक्ष की ओर से 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची संशोधन के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाने की तैयारी है। विपक्ष का कहना है कि चुनाव सुधारों से जुड़े मामलों पर पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होनी चाहिए।

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सत्र शुरू होने से पहले रविवार को संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सभी दलों के फ्लोर लीडरों के साथ बैठक की, ताकि सत्र के दौरान सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चल सके। यह सत्र, जो कुल 15 दिनों का है, संसद के सबसे छोटे सत्रों में से एक माना जा रहा है। बताया गया कि कुल समय का 25% से भी कम हिस्सा विपक्ष को मिलेगा, जिस कारण विपक्षी दल पहले से ही असंतोष जता रहे हैं।

आज का दिन नए सभापति के कार्यकाल की शुरुआत का भी प्रतीक है, और विपक्ष का रुख साफ दर्शाता है कि सत्र के दौरान तीखी बहस और टकराव की संभावनाएं प्रबल हैं।

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