पीरुमेड पहाड़ियों में चाय क्षेत्र नए संकटों का सामना कर रहा है
पीरुमेड पहाड़ियों में चाय बागानों की संख्या 40 से घटकर 28 हो गई। बढ़ती लागत, श्रमिक संकट और बाजार दबाव से क्षेत्र का चाय उद्योग चुनौतीपूर्ण स्थिति में है।
केरल के पीरुमेड पहाड़ियों में चाय उद्योग को नए चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ताजा आंकड़ों के अनुसार, क्षेत्र में सक्रिय चाय बागानों की संख्या 40 से घटकर अब केवल 28 रह गई है। यह गिरावट स्थानीय अर्थव्यवस्था और चाय श्रमिकों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है।
विशेषज्ञों के अनुसार, चाय बागानों की संख्या में यह कमी कई कारणों से हुई है, जिनमें उत्पादन लागत में वृद्धि, श्रमिक संकट, और वैश्विक बाजार में मांग में बदलाव शामिल हैं। इसके अलावा, छोटे बागान और पारंपरिक किसानों को आधुनिक तकनीक और बेहतर विपणन संसाधनों की कमी का भी सामना करना पड़ रहा है।
स्थानीय किसानों और श्रमिकों ने बताया कि नई चुनौतियों के कारण कई बागान बंद होने की कगार पर हैं। इसके परिणामस्वरूप रोजगार में कमी और आय में अस्थिरता पैदा हो रही है। श्रमिकों के लिए स्थायी रोजगार और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना अब एक बड़ी चुनौती बन गया है।
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सरकारी और निजी एजेंसियां इस संकट से निपटने के उपाय तलाश रही हैं। विशेषज्ञों का सुझाव है कि स्थानीय बागानों को वित्तीय सहायता, तकनीकी प्रशिक्षण और बेहतर विपणन नेटवर्क के माध्यम से सशक्त बनाया जाना चाहिए। इसके अलावा, चाय उत्पादन में गुणवत्ता सुधार और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए नई रणनीतियों की आवश्यकता है।
इस समय पीरुमेड पहाड़ियों में चाय उद्योग की स्थिति अस्थिर है, और यदि उचित कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले समय में और बागानों के बंद होने की संभावना है।
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